दिल्ली: आर्थिक आधार पर आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर इस पर जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल सरकार के फैसले पर रोक नहीं लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से चार हफ्ते में जवाब मांगा है. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने 10% आरक्षण पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है. सवर्णों को नौकरियों में आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण देने के मामले में यूथ फॉर इक्विलिटी सहित अन्य याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इस याचिका में संविधान संशोधन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. याचिका में कहा गया है कि ये संशोधन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है और आर्थिक आधार पर आरक्षण नही दिया जा सकता.
आरक्षण के खिलाफ दायर याचिकाओं में कहा गया है कि सरकार ने बिना जरूरी आंकड़े जुटाए आरक्षण का कानून बनाया. सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को 50 फीसदी तक सीमित रखने का फैसला दिया था, उसका भी हनन किया गया. याचिका में कहा गया है कि आर्थिक आधार पर आरक्षण असंवैधानिक है. आपको बता दें कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 12 जनवरी को सामान्य वर्ग के गरीबों को नौकरियों और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण से संबंधित संविधान (103वां संशोधन) अधिनियम 2019 को मंजूरी दे दी थी. इसके तहत आठ लाख रुपये तक की वार्षिक आमदनी वालों को आरक्षण का लाभ प्राप्त होगा. कानून बनने के बाद उत्तर प्रदेश, गुजरात समेत कई राज्यों में यह कानून लागू किया जा चुका है.
सामान्य वर्ग आरक्षण के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट में भी याचिका दाखिल की गई है. हाई कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार से 18 फरवरी तक जवाब मांगा है. तमिलनाडु की विपक्षी पार्टी डीएमके ने 18 जनवरी को हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी.