फर्जी दस्तावेजों के सहारे फर्जी कंपनियों के नाम पर लोन लेकर अचल संपत्ति खरीदने वाले सुभाष शर्मा नामक शख्स को प्रवर्तन निदेशालय ने छत्तीसगढ़ में गिरफ्तार किया है. कोर्ट ने पूछताछ के लिए सुभाष शर्मा को 10 दिन के लिए ईडी की हिरासत में भेजा है. प्रवर्तन निदेशालय का दावा है कि सुभाष शर्मा की लगभग 39 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति को जब्त करने की कार्रवाई भी की जा रही है.
शख्स ने अनेकों कागजी कंपनियां खोली थीं
प्रवर्तन निदेशालय के एक आला अधिकारी ने बताया कि सुभाष शर्मा नाम के इस शख्स ने अनेकों कागजी कंपनियां खोली थीं. इन कंपनियों में से अनेक में कोई काम धाम नहीं होता था. आरोप है कि इन कंपनियों को बैंकों से लोन लेने के लिए खोला गया था. निदेशालय के मुताबिक, सुभाष शर्मा ने अनेक बैंकों से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर करोड़ रुपये का लोन लिया. इस बाबत छत्तीसगढ़ पुलिस और केंद्रीय जांच ब्यूरो में लगभग 54 करोड़ रुपये के घोटाले के मामले दर्ज भी हुए.
मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज
इन्हीं मामलों के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की. इस जांच के दौरान पाया गया कि सुभाष शर्मा ने बैंकों से जिस काम के लिए लोन लिया था उन कामों में पैसा ना लगाकर बैंकों से लिए गए लोन के पैसे का इस्तेमाल अचल संपत्ति को खरीदने में किया. यह भी आरोप है कि बैंकों से लोन लेने के लिए फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया गया.
पूछताछ के लिए 10 दिनों के लिए हिरासत में भेजा गया
छानबीन के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने सुभाष शर्मा से आरंभिक पूछताछ की और पूछताछ में सहयोग ना होने पर सुभाष शर्मा को गिरफ्तार कर लिया. सुभाष शर्मा को प्रवर्तन निदेशालय की विशेष अदालत के सामने पेश किया गया जहां से उसे पूछताछ के लिए 10 दिनों के लिए हिरासत में भेजा गया है. प्रवर्तन निदेशालय जानना चाहता है कि बैंकों से जो लोन सुभाष शर्मा ने लिया था वह अपनी किन-किन फर्जी कंपनियों में लगाया है और उन कंपनियों के जरिए कहां-कहां अचल संपत्तियां खरीदी है. मामले की जांच जारी है. ईडी का दावा है कि सुभाष शर्मा की 39 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति को जब्त करने के लिए अटैचमेंट कार्रवाई शुरू कर दी गई है.