बच्चों को ज़्यादा से ज़्यादा समय दें, इससे आपके बच्चे का भविष्य सुरक्षित रहेगा: सोहन लाल गुप्ता

आज बदलते वक़्त के साथ पैसा कमाने की दौड़ में हम अपने बच्चों के भविष्य को पीछे धकेलते जा रहे हैं. बच्चों की अच्छी शिक्षा के लिए शहर का अच्छा स्कूल चुनते हैं लेकिन बच्चों के लिए समय नही दें पाते हैं. इससे बच्चों पर क्या असर पड़ सकता है, इस विषय पर हमने शहर के जाने माने शिक्षाविद सोहन लाल गुप्ता जी से बात की.

सोहन लाल गुप्ता जी का शिक्षा के क्षेत्र में सफर:
73 साल के सोहन लाल गुप्ता का जन्म फरीदाबाद के तिलपत गांव में हुआ. परिवार में आठ सदस्य होने बाद भी घर में कोई ज्यादा पढ़ा-लिखा नहीं था. इसलिए घर में आमदनी के साधन भी कम थे. एक छोटी सी दूकान थी जिसके सहारे पूरे घर का राशन चलता था. सोहन लाल गुप्ता की शुरूआती पढ़ाई गांव के ही सरकारी स्कूल में हुई. बाद में पढ़ाई के लिए गांव से दूर शहर का रुख़ किया लेकिन यहाँ भी पढ़ाई सरकारी स्कूल तक सीमित रही. कई बार उन्हें खुले आसमान के नीचे तो कभी पेड़ के नीचे बैठ कर अपनी शिक्षा पूरी करनी पड़ी.

सोहन लाल गुप्ता का शिक्षा के क्षेत्र में 46 साल का लम्बा अनुभव रहा है . 73 साल के होने के बाद भी शिक्षा के प्रति जूनून कम नहीं हुआ और आज भी शिक्षा के क्षेत्र में अपना पूरा योगदान दें रहे हैं.आज सोहन लाल गुप्ता अपना स्कूल चलाते हैं जिसमे हजारों की संख्या में बच्चे पढ़ रहे है. इनके पढाये हुऐ बच्चे देश के कई बड़े महकमों में अपना योगदान दें रहे है.

आइये जानते हैं इस विषय पर सोहन लाल गुप्ता जी का क्या कहना हैं…..

1. आज बच्चों के माँ-बाप अपने बच्चों को खुद पढ़ाने की बजाए ट्यूशन पर ज्यादा विश्वाश करते हैं इस बारे में आप क्या कहेंगे?

ट्यूशन सिस्टम ही गलत हैं, इसमें सुधार की आवश्यकता हैं, बच्चों के माँ-बाप को कोशिश करनी चाहिए की अपने बच्चों को ज्यादा से ज्यादा टाइम दें ताकि बच्चा उनकी बातों पर ध्यान दें सके. बच्चो को प्यार से समझाये, कई बार बच्चे समझने में टाइम लेते हैं उस अवस्था में माँ-बाप को धैर्य से काम लेना होगा.

2 . अगर परिवार के सदस्य अनपढ़ हो तो उस अवस्था में क्या ट्यूशन पढ़ाना गलत होगा?

माँ- बाप का अनपढ़ होना और बच्चों का न पढ़ पाना ये गलत धारणा हैं. पुराने टाइम में ट्यूशन नहीं हुआ करते थे. मैंने भी बिना ट्यूशन के पढ़ाई की हैं. उस टाइम माँ- बाप अपने बच्चों पर ध्यान देते थे. आज वक़्त बदल गया हैं परिवार के अधिकत्तर सदस्य नौकरी पेशा से जुड़े हैं. अगर ऐसी स्थिति पैदा हो रही हैं तो माँ- बाप ट्यूशन लगाने से पहले ये जरूर ध्यान रखे ट्यूशन क्लास में 10-15 बच्चे ही पढ़ते हो जिससे ट्यूशन अध्यापक बच्चे पर पूरा ध्यान दें सके.

3 . आपके अनुसार वक़्त बदल रहा हैं अध्यापक की सोच भी तो वक़्त के साथ बदल रही हैं. आज कई मामलों में अध्यापको को जेल जाना पडा हैं?

अगर अध्यापक अपने होशो- हवाश में रहकर सिद्धांतो पर काम करे तो ऐसी नौमत ना आये. कई बार बलात्कार जैसे मामलों में अध्यापक का नाम सुनता हूँ तो दुखी होता हूँ , शर्म आनी चाहिए ऐसे अध्यापको पर जो बच्चों को गलत नीयत से देखते हैं. अगर अध्यापक सच्चे दिल से काम करे तो भगवान् का रूप लें सकता हैं बस इसके लिए अध्यापक स्वार्थी न हो.

4. बच्चों के साथ सख्ती से पेश आना कहाँ तक सही मानते हैं?

आज के माहौल के मुताबिक़ अध्यापक के मन में भी डर बना रहता हैं, अगर अध्यापक बच्चे की गलती पर चिल्ला या धमका दें, उसके विरोध में कई बार बच्चे के परिवार वाले झगड़े पर उतारू हो जाते हैं. जिससे अध्यापक गलत बच्चे को भी सुधारने से डरता हैं.

5. अगर बच्चा गलत दिशा में जा रहा हैं तो फिर कैसे उसे सुधारा जा सकता हैं?

जब कभी बच्चे की शिकायत स्कूल की ओर से की जाए तो उसे गंभीरता से लें. बच्चे के बारे में जानकारी स्कूल से समय -समय पर लेते रहें और स्कूल में होने वाली बैठकों में हिस्सा जरूर ले. सबसे जरूरी हैं की अपने बच्चे को टाइम दें. कई बार देखा गया हैं की माँ-बाप बच्चों पर ध्यान नहीं देते और बच्चा गलत संगत में पड़ जाता हैं.

6. आज हर माँ-बाप को अपने बच्चे के दाखिले की चिंता हैं और कुछ दिनों बाद ही कई स्कूल में दाखिले की प्रकिया शुरू हो जाएगी. इस बारे में आप क्या सलाह देना चाहेंगे?

बच्चों के माँ-बाप 4-5 स्कूल चुन कर रख लें और स्कूल के बारे में पूरी जानकारी लें. कई बार पेरेंट्स एक ही स्कूल में फॉर्म भरते हैं और दाखिला न होने पर मायूस हो जाते हैं. दाखिले से पहले बच्चे को क्लास से सम्बंधित विषयों की जानकारी जरूर याद करायें.

 

7. आज हर स्कूल सीबीएसई या अन्य सरकारी संस्था से मान्यता प्राप्त हैं लेकिन सभी स्कूलों की फीस में अंतर हैं, इस बारे में आपका क्या कहना हैं?

ये निर्भर करता हैं स्कूल में अध्यापकों, कर्मचारियों की संख्या कितनी हैं. स्कूल की गतिविधियां क्या क्या हैं. लेकिन बहुत से स्कूल ने पैसा उगाही का धंधा बना रखा हैं. हमारे स्कूल ने कई बार 80 प्रतिशत से ज्यादा लाने वाले बच्चों की फ़ीस में छूट दी हैं. जिससे बच्चों का मनोबल बढ़ सके. जरूरतमंद बच्चों को हमने मुफ़्त में भी शिक्षा दी हैं और देते रहेंगे.

8. जब कभी आप अपने पुराने छात्रों को देखते हैं तो कैसा महसूस करते हैं?
जब कभी मैं पुराने छात्रों को उच्च पदों पर काम करता देखता हूँ या सुनता हूँ तो मेरे लिए वो दिन दिवाली से कम नहीं होता. मैं हमेशा उनसे अच्छे भविष्य की कामना करता हूँ.

9. आप बच्चों के माता पिता को कुछ सन्देश देना चाहते है?

सन्देश को सुनने के लिए वीडियो पर क्लिक करे.

 

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