Vyapam Scam: मध्य प्रदेश में हुए बहुचर्चित व्यापम घोटाले के तहत सीबीआई की विशेष अदालत ने साल 2010 की प्री-मेडिकल टेस्ट में धांधली करने वाले 6 लोगों को पांच-पांच साल के सख्त कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही इन लोगों पर आर्थिक जुर्माना भी लगाया गया है. इनमें 2 छात्र, उनकी जगह परीक्षा देने वाले दो अन्य लोग और दो मिडिलमैन शामिल हैं.
2015 में दर्ज हुआ था केस
सीबीआई प्रवक्ता आरसी जोशी के मुताबिक जिन लोगों को सजा सुनाई गई है, उनमें 2 छात्र राजेश बघेल और अवधेश कुमार उनकी जगह परीक्षा देने वाले परवेज खान और प्रदीप उपाध्याय और इस मामले में मिडिल मैन की भूमिका निभाने वाली हरि नारायण सिंह एवं वेदरतन सिंह शामिल हैं. सीबीआई ने इस मामले में हाईकोर्ट की तरफ से जारी आदेश के बाद 29 दिसंबर 2015 को विभिन्न आपराधिक धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया था. इससे पहले यह मुकदमा साल 2010 में मध्य प्रदेश के गुना जिले के कैंट थाना अंतर्गत दर्ज हुआ था.
प्रदीप कुमार उपाध्याय और परवेज आलम उर्फ परवेज खान यह दोनों प्री-मेडिकल टेस्ट परीक्षा 2010 में वास्तविक परीक्षार्थियों राजेश बघेल और अवधेश के बदले परीक्षा देने गए थे. परीक्षा के दौरान शक होने पर इन दोनों की जांच की गई थी और इस जांच के दौरान इन दोनों को पकड़ लिया गया था. सीबीआई को जांच के दौरान पता चला कि 6 मई 2010 को इस परीक्षा का नोटिफिकेशन जारी होने के बाद राजेश बघेल और अवधेश कुमार ने ऑफलाइन मोड के जरिए अपना फॉर्म जमा किया था यह फॉर्म जमा करने में मिडिलमन हरनारायण सिंह ने दोनों परीक्षार्थियों का टेस्ट एडमिट कार्ड देने के लिए एक कॉमन एड्रेस दिया था.
6 आरोपियों को पाया गया था दोषी
सीबीआई ने इस मामले में परवेज आलम को खोज निकाला था और उसे 20 फरवरी 2017 को गिरफ्तार किया गया. उससे पूछताछ के दौरान उसके हस्ताक्षर उसकी लिखावट और उसके अंगूठे का निशान लिया गया. इस मामले में उसका मिलान वास्तविक परीक्षार्थियों के निशानों से मिलाया गया तो पता चला कि वास्तविक परीक्षार्थी पेपर देने नहीं गए थे. इस जांच के दौरान सीबीआई ने मामले में मिडिल मैन की भूमिका निभाने वाले दोनों लोगों से भी पूछताछ की थी. मामले की जांच के बाद सीबीआई ने सभी तथ्यों के साथ पूरक आरोप पत्र सीबीआई की विशेष अदालत में 22 अगस्त 2017 को पेश किया. सीबीआई की विशेष अदालत ने इस मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद 6 आरोपियों को दोषी पाया. इसके बाद अदालत ने इन सभी को 5/ 5 साल के सख्त कारावास और आर्थिक जुर्माने की सजा सुनाई है.
ध्यान रहे कि व्यापम घोटाले को लेकर मध्य प्रदेश की राजनीति में भी भूचाल आ गया था. इस मामले को लेकर लंबी कानूनी लड़ाई भी लड़ी गई थी और कई लोग रहस्यमयी परिस्थितियों में मरे भी पाए गए थे. हालांकि सीबीआई ने लोगों की कथित संदेहास्पद मौत या हत्या के बारे में यह कहा था कि व्यापम मामले की जांच के दौरान किसी की हत्या होना नहीं पाया गया. इस मामले में अभी भी कई केस विभिन्न अदालतों के सामने विचाराधीन हैं.