देश के सरकारी स्कूलों में बड़ी संख्या में शिक्षकों के पद खाली हैं. केंद्र सरकार की ओर से जारी एक आंकड़े के मुताबिक पूरे देश में 10 लाख 60 हजार 139 शिक्षकों के पद खाली हैं. यह जानकारी केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने लोकसभा में दी. साल 2020-21 तक पूरे देश में शिक्षकों के 61 लाख 84 हजार 464 पद स्वीकृत हैं, जबकि अलग-अलग राज्यों में कुल 10 लाख 60 हजार 139 पद रिक्त हैं. इसमें बिहार और यूपी अव्वल हैं.
लोकसभा में सांसद धर्मवीर सिंह ने शिक्षा मंत्री निशंक से अतारांकित सवाल पूछा था कि संपूर्ण देश में शिक्षकों के कितने पद खाली हैं और इनके राज्यवार विशेषकर हरियाणा के संदर्भ में कब तक भरे जाने की संभावना है?
इसके जवाब में शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षकों की भर्ती एक सतत प्रक्रिया है और सेवानिवृत्ति और एवं छात्रों की संख्या बढ़ने के कारण उत्पन्न हुई अतिरिक्त जरूरतों के चलते पद रिक्त होते रहते हैं. शिक्षा संविधान की समवर्ती सूची में है. शिक्षकों की भर्ती, सेवा शर्तें और तैनाती संबंधित राज्यों/संघ राज्य क्षेत्र सरकारों के दायरे में आती हैं. हालांकि शिक्षा मंत्रालय सलाह या समीक्षा बैठकों के माध्यम से सभी राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों की सरकारों से शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने और उनकी तैनाती के लिए अनुरोध करता रहता है. शिक्षा मंत्री ने बताया कि हरियाणा में फिलहाल 10,349 पद खाली हैं और स्वीकृत पदों की संख्या 106,263 है.
अपने लिखित जवाब में शिक्षा मंत्री ने राज्यवार रिक्तियों के आंकड़े दिए हैं जिसमें बिहार और यूपी शीर्ष पर हैं. बिहार में फिलहाल 275,255 पद और यूपी में 217,481 पद खाली हैं. जबकि बिहार में स्वीकृत पदों की संख्या 688,157 है और यूपी में शिक्षकों के स्वीकृत पद का आंकड़ा 752,839 है. और भी कई राज्य हैं जहां शिक्षकों की भारी कमी है. इनमें आंध्रप्रदेश (34888), झारखंड (95897), कर्नाटक (32644), मध्य प्रदेश (91972), राजस्थान (47666) और पश्चिम बंगाल (72220) के नाम प्रमुख हैं.