मध्यप्रदेश के हरदा जिले में पटाखा फैक्ट्री में हुए विस्फोट में 11 लोगों की मौत हो गई, जबकि 200 से ज्यादा लोग घायल हैं। हादसे के बाद से रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। वाराणसी से आई नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (NDRF) की टीम रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हुई है। जेसीबी से मलबा हटाया जा रहा है, जिसमें आग अभी भी धधक रही है। मुख्यमंत्री मोहन यादव आज हालात का जायजा लेने हरदा जाएंगे। इस दौरान सीएम यादव मृतकों, घायलों और उनके परिजनों पर भी मुलाकात कर सकते हैं।
अभी भी फूट रहे पटाखे
हादसा कितना भयानक था इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि घटनास्थल पर अभी भी पटाखे फूट रहे हैं। जेसीबी और पोकलेन मशीन से मलबा हटाने पर बारूद और पटाखे दबे हुए मिल रहे हैं। 300 से ज्यादा दमकल वाहनों से आग बुझाने का प्रयास किया जा चुका है, इसके बाद भी मलबे से धुआं उठ रहा है।
51 लोगों की हालत गंभीर
हादसे में 200 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं, जिनमें से 51 की हालत गंभीर बताई जा रही है। जिनता इंदौर और भोपाल में इलाज चल रहा है। राहत की बात यह है कि रात में मलबे में न तो कोई घायल और न ही कोई शव मिला है। हालांकि, रेस्क्यू टीम लगातार मलबा हटा रही है।
हरदा पहुंची एनडीआरएफ की टीम
जानकारी के अनुसार वाराणसी से आई नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (NDRF) की टीम बुधवार सुबह हरदा पहुंची हैं। टीम के 35 सदस्यों ने फैक्ट्री के तलघर में मलबा हटाने का काम शुरू किया है। यहां बारूद रखा हुआ था और हादसे के समय कर्मचारी भी मौजूद थे। ऐसे में एनडीआरएफ की टीम ने तलघर से मलबा हटाने का काम शुरू किया है।
फैक्ट्री मालिक और उसका भाई गिरफ्तार
हरदा पुलिस ने फैक्ट्री मालिक और उसके भाई को गिरफ्तार कर लिया है। दोनों आरोपियों राजेश अग्रवाल और सौमेश अग्रवाल को राजगढ़ जिले के सारंगपुर से गुजरने वाले नेशनल हाईवे से पकड़ा गया। दोनों भागने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया। दोनों से पूछताछ कर उनके एक और साथी के बारे में पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है।
मृतकों के परिजनों को 15-15 लाख देने के आदेश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने ब्लास्ट केस पर संज्ञान लेते हुए एक आदेश जारी किया है। जिसमें मृतकों के परिजन को 15 लाख, मामूली घायलों को तीन और गंभीर घायलों को पांच लाख रुपये देने के आदेश दिए हैं। साथ ही हादसे में जिनके घर जल गए हैं उन्हें पाच और जिनके खाली कराए गए उन्हें 2 लाख रुपए देने के आदेश दिए गए हैं। एनजीटी के आदेश के तहत फैक्ट्री मालिकों को यह राशि पर्यावरण मुआवजा निधि के खाते में जमा करानी होगी। जिसके बाद इसे पीड़ितों को दिया जाएगा।