राज्यसभा में पहली बार शीतकालीन सत्र के लिए 12 सांसद निलंबित

Winter Parliament Session: संसद का पहला दिन ही हंगामेदार हुआ. राज्यसभा में 12 सासंदों को पूरे शीतकालीन सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया. राज्यसभा के इतिहास में इतना बड़ा निलंबन कभी नहीं हुआ. विपक्ष इस निलंबन पर सवाल उठा रहा है. निलंबन के खिलाफ प्रस्ताव पर भी हो रहा है विचार. वहीं निलंबित सांसद माफी मांगने की रणनीति पर भी विचार कर रहे हैं.

12 सांसदों के एक साथ निलंबन के बाद विपक्ष नई रणनीति बनाने में जुटा है. सूत्रों के मुताबिक निलंबित सांसद वेंकैया नायडू से लिखित माफी मांग सकते हैं. माफी के जरिए सस्पेंशन वापस लेने की मांग की जा सकती है. वहीं विपक्ष के बाकी सदस्य इस मुद्दे पर सरकार को घेर सकते हैं. इस बारे में आज सुबह विपक्ष की बैठक में फैसला हो सकता है. सुबह दस बजे लोकसभा और राज्यसभा मे विपक्ष के सांसदों की बैठक बुलाई गई है.

दरअसल कल राज्यसभा में विपक्ष को झटका मिल गया. कृषि कानूनों पर चर्चा के बहाने सरकार को घेरा जाना था लेकिन सरकार ने बिना चर्चा के ही कृषि कानून रद्द करने का बिल पास करा लिया. हंगामा हुआ तो 12 सांसदों को निलंबन का रास्ता दिखा दिया गया. वो भी एक दो दिन नहीं पूरे शीतकालीन सत्र के लिए.

ई करीम (CPM)
फूलो देवी नेताम (कांग्रेस)
छाया वर्मा (कांग्रेस)
रिपुन बोरा (कांग्रेस)
बिनॉय बिस्वम (CPI)
राजमणि पटेल (कांग्रेस)
डोला सेन (TMC)
शांता छेत्री (TMC)
नासिर हुसैन (कांग्रेस)
प्रियंका चतुर्वेदी (शिवसेना)
अनिल देसाई (शिवसेना)
अखिलेश प्रसाद सिंह (कांग्रेस)
ये वो 12 सांसद हैं, जिन्हें एक साथ संसद से शीतकालीन सत्र के लिए सस्पेंड कर दिया गया, क्योंकि राज्यसभा में जोरदार हंगामा हुआ और हंगामे पर सदन के अध्यक्ष ने कार्रवाई कर दी, पिछले उदाहरण भी गिनाए गए. विपक्षी सांसदों ने पलटवार करते हुए इसे लोकतंत्र पर हमला बताया.

विपक्ष लगातार मोदी सरकार को घेरने की रणनीति पर काम कर रहा है. ऐसे में सांसदों के निलंबन का मुद्दा उठाकर मोदी सरकार को घेरा जाएगा. वहीं माफी की रणनीति से विपक्ष की कोशिश होगी कि राज्यसभा में उसकी ताकत कमजोर ना हो.

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