हादसा इतना भयावह था कि डिब्बे काटकर लाशों को निकालना पड़ा. दक्षिणी पाकिस्तान के सिंध प्रांत के पास सांघी गाव के पास यह दुर्घटना हुई.
सर्दी की सुबह. 1500 से ज्यादा यात्रियों से खचाखच भरी ट्रेन. बहुत से यात्री नींद के आगोश में ही थे. ट्रेन करीब 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पटरी पर दौड़े जा रही थी. अचानक ट्रेन जिस पटरी पर दौड़ रही थी, उस पर पहले से ही एक मालगाड़ी खड़ी थी. इससे पहले पायलट कुछ समझ पाता और ब्रेक लगाता, ट्रेन के डिब्बे सामने खड़ी मालगाड़ी पर चढ़ गए. नतीजा 4 जनवरी, 1990 की तारीख पाकिस्तान के इतिहास की सबसे भयावह ट्रेन दुर्घटना (Sukkur Train Disaster) की गवाह बन गई.
इस ट्रेन हादसे में 307 लोगों की मौत हुई जबकि 700 से ज्यादा यात्री घायल हुए. हादसा इतना भयावह था कि डिब्बे काटकर लाशों को निकालना पड़ा. दक्षिणी पाकिस्तान के सिंध प्रांत के पास सांघी गाव के पास यह दुर्घटना हुई. जिस समय यह हादसा हुआ, 16 डिब्बों वाली बहादुद्दीन जकारिया एक्सप्रेस मुल्तान से कराची जा रही थी. घायलों को बाहर निकालने के लिए सेना तक को बुलाना पड़ा था.
लाइनमैन की एक गलती का खामियाजा
यह भीषण हादसा लाइनमैन की एक गलती का नतीजा था. उसने गलती से ट्रेन को उस पटरी पर डाल दिया, जिस पर पहले से ही एक मालगाड़ी खड़ी हुई थी. ऐसे में पायलट के पास कोई मौका ही नहीं था. जांच के दौरान तीन रेलवेकर्मियों को गिरफ्तार किया गया.
पाक इतिहास की सबसे भयावह त्रासदी
यह रेल हादसा पाकिस्तान के इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदी थी. इससे पहले 1953 में ट्रेन हादसे में 200 लोगों की जान गई थी. मगर इस दुखद हादसे ने 300 से ज्यादा जानों को लील लिया.
पीएम बेनजीर भुट्टो ने बताया था साजिश
इस खौफनाक हादसे में घायल लोगों से मिलने के लिए खुद तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो कराची से विशेष विमान से पहुंची थी. उन्होंने इस दुर्घटना को राष्ट्रीय त्रासदी बताया था. साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि इस घटना के पीछे साजिश को भी इनकार नहीं किया जा सकता. तत्कालीन रेल मंत्री ने भी कहा था कि हादसे के वक्त स्टेशन मैनेजर और दो लाइनमैन गायब हो गए थे.