केंद्र की मोदी सरकार ने सांसदों की सैलरी को लेकर अहम फैसला लिया है. सरकार ने सोमवार को लोकसभा में बिल पेश किया, जिसमें एक साल तक सांसदों की सैलरी में 30 फीसदी की कटौती का प्रावधान है. सरकार ने ये फैसला कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न स्थिति से मुकाबले के लिए लिया है.
संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने लोकसभा में संसद सदस्यों के वेतन, भत्ता एवं पेंशन संशोधन विधेयक 2020 को पेश किया, जो संसद सदस्यों के वेतन, भत्ता एवं पेंशन अध्यादेश 2020 का स्थान लेगा. प्रह्लाद जोशी ने कहा कि वह संसद सदस्यों के वेतन, भत्ता एवं पेंशन अधिनियम 1954 में संशोधन करने का विधेयक पेश कर रहे हैं. इस अध्यादेश को 6 अप्रैल को मंत्रिमंडल की मंजूरी मिली थी और यह 7 अप्रैल को लागू हुआ था.
अध्यादेश में कहा गया था कि कोरोना वायरस महामारी ने त्वरित राहत और सहायता के महत्व को प्रदर्शित किया है और इसलिए महामारी को फैलने से रोकने के लिए कुछ आपात कदम उठाये जाने जरूरी हैं.
यह पैसा कंसोलिडेटेड फंड ऑफ इंडिया (CFI) में जाएगा. सरकार के पास आयकर, केन्द्रीय उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क के जरिए आने वाला सारा राजस्व व अन्य प्राप्तियां इसी फंड में जाती हैं. सरकार द्वारा किए जाने वाले खर्च भी CFI से होते हैं और संसद की मंजूरी के बिना इसमें से पैसा नहीं निकाला जा सकता.