मुंबई में होने वाली विपक्षी गठबंधन INDIA की बैठक शुरू होने से पहले लगता है पूरा गेम ही बदल गया है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार के बयान ने तो भूचाल ला दिया है. उन्होंने कहा कि मायावती अभी भी बीजेपी के संपर्क में हैं, उनका रूख साफ होने पर ही कोई बात हो सकती है. जबकि इससे पहले INDIA गठबंधन की तरफ से मायावती को साथ लेने के संदेश आ रहे थे. कांग्रेस के कुछ नेता बीएसपी से चुनावी समझौता करने के लिए लगातार लॉबिंग कर रहे थे.
शरद पवार ने ये बात मुंबई में एक प्रेस कांफ्रेंस में बताई, लेकिन मायावती तो पहले ही ट्वीट कर बीएसपी का रूख साफ कर चुकी थीं. मायावती ने कहा कि न तो वे NDA के साथ जा रही हैं और न ही INDIA गठबंधन के साथ. गैर बीजेपी पार्टियां मायावती पर बीजेपी की बी टीम होने का आरोप लगाती रहती है. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि अगर वे इनके साथ हो जाएं तो फिर सेक्युलर, नहीं तो फिर उन्हें बीजेपी के साथ जोड़ दिया जाता है.
मायावती ने कहा कि बीएसपी से गठबंधन करने के लिए सभी पार्टियां आतुर हैं. इसका जवाब फिर मुंबई से ही आया. आरजेडी चीफ लालू यादव ने कहा कि उन्हें कौन बुला रहा है! दो हफ्ते में दूसरी बार मायावती के एकला चलो के एलान के बाद इंडिया गठबंधन में शामिल पार्टियॉं उनके खिलाफ अचानक हमलावर हो गई हैं. कहीं ये सोची समझी रणनीति तो नहीं है.
विपक्षी दल अब बता रहे वोटकटवा
अगर वे अकेले ही अगला लोकसभा चुनाव लड़ने पर अड़ी रहती हैं तो फिर ऐसे में नुकसान सिर्फ और सिर्फ इंडिया गठबंधन का ही तय है. इसीलिए गैर बीजेपी पार्टियों ने अब बीएसपी को वोटकटवा पार्टी साबित करने का अभियान छेड़ दिया है. इन पार्टियों के नेता अब एक सुर में बस एक ही बात कह रहे हैं कि INDIA गठबंधन से बाहर रह कर मायावती बीजेपी को फायदा पहुंचा रही हैं.
क्या होंगे सियासी फायदे?
गठबंधन की पार्टियां अब इस मैसेज को ग्राउंड पर फैलाकर यूपी में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस बीएसपी के अकेले लड़ने से होने वाले नुकसान को कम से कम करना चाहती हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में बीएसपी का वोट शेयर गिर कर महज 12 प्रतिशत रह गया था. इसका मतलब ये है कि मायावती के पास आज की तारीख में बस उनकी जाटव जाति का ही वोट रह गया है. बीएसपी पर बीजेपी से मिलीभगत का आरोप लगाने से मुस्लिम वोट का बंटवारा भी रोका जा सकता है.