समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव को आज सीबीआई के सामने पेश होना था, लेकिन वो नहीं जाएंगे. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मामला दर्ज करने के पांच साल बाद अवैध खनन मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को गुरुवार यानी आज पूछताछ के लिए बुलाया था. अब जानकारी मिली है कि अखिलेश यादव दिल्ली में सीबीआई ऑफिस नहीं जा रहे हैं.
अधिकारियों ने बताया कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 160 के तहत जारी नोटिस में एजेंसी ने उन्हें 2019 में दर्ज मामले के संबंध में पेश होने के लिए कहा. इस धारा के तहत पुलिस अधिकारी को जांच में गवाहों को बुलाने की अनुमति होती है.
दरअसल सीबीआई ने अवैध खनन मामले में 2019 में एफआईआर दर्ज की थी और इसी मामले में सीआरपीसी 160 के तहत गवाह के तौर पर सम्मन करके सपा मुखिया अखिलेश यादव को दिल्ली सीबीआई मुख्यालय बुलाया है. ये सम्मन 21 फरवरी को इश्यू किया गया था और 29 फरवरी को आने के लिए कहा गया.
कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने शुरू की जांच
बता दें कि बिना ई-टेंडरिंग के माइनिंग इश्यू करने के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने इस मामले की जांच शुरू की थी. जांच में सामने आया कि साल 2012 से 2016 के बीच एनजीटी के बैन के बावजूद पब्लिक सर्वेंट और अधिकारियों ने मिलकर अवैध खनन की इजाजत और लाइसेंस जारी किए थे. अधिकारियों ने कुछ नेताओं के साथ मुलक्ट लीज होल्डर्स और ड्राइवर्स से पैसे भी वसूले थे. 2016 में पहले सीबीआई ने 7 पीई दर्ज करके जांच शुरू की. जांच में सामने आया कि अखिलेश यादव ने एक ही दिन में 13 प्रोजेक्ट क्लियर किए.
14 लाइसेंस इश्यू
सीबीआई ने उन अधिकारियों से भी पूछताछ की थी, जिन्होंने बताया था कि अखिलेश यादव माइनिंग पोर्टफोलियो होल्ड कर रहे थे और उन्होंने 14 लाइसेंस इश्यू किए थे. इनमें से 13 लाइसेंस एक ही दिन 17 फरवरी 2013 को जारी किए गए थे. ये सब मैन्युअली बिना ई टेंडरिंग प्रोसेस के किए गए थे.
ई-टेंडरिंग पॉलिसी का वायलेशन
17 फरवरी को तत्कालीन हमीरपुर के डीएम ने अखिलेश यादव के डायरेक्शन पर 13 लाइसेंस ग्रांट किए जो खुद अखिलेश यादव की 2012 की ई-टेंडरिंग पॉलिसी का वायलेशन था, जिसे इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 29 जनवरी 2013 को किया था. सीबीआई ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश की थी. अखिलेश यादव 2012 से 2017 तक यूपी के सीएम थे और 2012 से 13 के बीच माइनिंग पोर्टफोलियो उनके पास था. गायत्री प्रजापति ने इन्हें इस काम मे मदद की थी.