अपर सत्र न्यायाधीश आलोक शर्मा ने 14 साल पुराने हत्या के एक मामले में फैसला सुनाते हुए आरोपी महिला और उसके प्रेमी को आजीवन कारावास तथा 50-50 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। महिला पर प्रेमी के साथ मिलकर पति की हत्या करने का आरोप था। अदालत ने यह भी आदेश दिया कि वसूले गए अर्थदंड का आधा हिस्सा वादी को बतौर प्रतिकर दिया जाएगा।
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता अमित त्यागी ने बताया कि मामले की शिकायत मोहम्मद इनाम पुत्र जहूर निवासी बरथा कायस्थ ने चार दिसंबर 2009 को थाना चिलकाना में अपने भाई रिजवान की गुमशुदगी दर्ज कराई थी। पुलिस को बताया था कि रिजवान की दोनों टांगे खराब हैं और वह 27 नवंबर से लापता है।
तलाश के दौरान इस्लाम और शाहिद ने बताया कि उन्होंने गांव के आबिद को 27 नवंबर 2009 की रात में एक बोरा ले जाते हुए देखा था। पुलिस ने जब आबिद से पूछताछ की तो उसने बताया कि रिजवान की हत्या कर उसका शव बोरे में भरकर रघुनाथपुर गांव में एक खेत के कुएं में फेंक दिया था।
आबिद की निशानदेही पर रिजवान का शव बरामद किया गया। पूछताछ में यह भी पता चला कि आबिद का रिजवान की पत्नी दिलशाना से प्रेम-प्रसंग था। इसके चलते उन्होंने दिव्यांग रिजवान को रास्ते से हटाने के लिए दिलशाना की चुन्नी से गला घोटकर उसकी हत्या कर दी थी।
पुलिस ने विवेचना के बाद हत्या और साक्ष्य मिटाने के आरोप में दिलशाना और आबिद के खिलाफ चार्जशीट पेश की। दोनों पक्षों की बहस सुनने तथा पत्रावली साक्ष्य के आधार पर न्यायाधीश ने दिलशाना और आबिद को दोषी करार दिया और सजा सुनाई।