Demolition of Jhuggis: दिल्ली के सरोजिनी नगर से झुग्गियों को हटाने के पर सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई के तीसरे हफ्ते तक के लिए रोक लगा दी है. कोर्ट ने एक नोडल ऑफिसर नियुक्त करते हुए कहा है कि वह वहां रह रहे लोगों के बारे में पूरी जानकारी जमा करे. याचिकाकर्ता ने कहा था कि 200 झुग्गियों में लोग 1980 से रह रहे हैं. उनके पुनर्वास का कोई इंतज़ाम किए बिना अचानक झुग्गियां हटाई जा रही हैं. केंद्र सरकार के अधिकारियों के आवास वाला सरोजिनी नगर इलाका दिल्ली के वीवीआईपी ‘लुटियंस ज़ोन’ से बिल्कुल लगा हुआ है.
इससे पहले 25 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने 10वीं कक्षा की छात्रा वैशाली की याचिका को सुनते हुए झुग्गियों को हटाने पर अंतरिम रोक लगाई थी. कोर्ट ने दिल्ली सरकार से याचिका पर जवाब मांगा था. याचिकाकर्ता के लिए पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने जस्टिस के एम जोसेफ और ऋषिकेश रॉय की बेंच को बताया कि दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड कानून के तहत 1 जनवरी 2006 से पहले बसी झुग्गियों को हटाने से पहले वह रह रहे लोगों के पुनर्वास का प्रावधान है. लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने बिना इस पहलू पर उचित आदेश दिए झुग्गियों को हटाने के सरकार के आदेश को मंजूरी दे दी.
झुग्गियों में रहने वाले परिवारों के बारे में जानकारी जुटाएं
सुप्रीम कोर्ट के 2 जजों की बेंच ने एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति करते हुए कहा है कि वह 10 दिन में सरोजिनी नगर झुग्गियों में रहने वाले परिवारों के बारे में जानकारी जुटाएं. उनके पहचान पत्र, व्यवसाय और आमदनी जैसी बातों की जानकारी लेकर कोर्ट को सूचित करें. कोर्ट ने सुनवाई जुलाई के तीसरे हफ्ते के लिए टालते हुए कहा है कि तब तक झुग्गियों को बने रहने दिया जाए.