भयानक चक्रवाती तूफान ‘बिपरजॉय’ ने गुजरात के कच्छ में जखाऊ तट के जरिये समुद्र से भूमि पर प्रवेश किया। इसके साथ ही तबाही शुरू हो गई और हवा की रफ्तार 125 किमी प्रति घंटे तक पहुंच गई। चक्रवात के चलते मांडवी, देवभूमि द्वारका समेत कई क्षेत्रों में भारी बारिश हुई। भावनगर में एक पिता और पुत्र की पानी से भरे नाले में डूबने से मौत हो गई। द्वारका में पेड़ गिरने से तीन लोग घायल हुए हैं। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार चक्रवात का केंद्र (आई) करीब 50 किलोमीटर में दायरे में फैला है। इससे इसकी गंभीरता का पता चलता है।
तूफान से सर्वाधिक प्रभावित गुजरात के 8 तटीय जिलों से लोगों को सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचाया गया। इनमें सबसे ज्यादा 46,800 लोग कच्छ के हैं। इसके बाद 10,749 देवभूमि द्वारका, 9,942 जामनगर, 9,243 मोरबी, 6,822 राजकोट, 4,864 जूनागढ़, 4,379 पोरबंदर और 1,605 लोग गिर सोमनाथ जिले के हैं। कुल विस्थापितों में 8,900 बच्चे, 1,131 गर्भवती महिलाएं व 4,697 बुजुर्ग हैं।
सौराष्ट्र-कच्छ और पाकिस्तान के कराची में भूमि से टकराया चक्रवात
तट से टकराने से पहले चक्रवात 12 किमी प्रति घंटे की गति से बढ़ता रहा। बाद में रफ्तार 15 किमी प्रति घंटा हो गई। यह सौराष्ट्र-कच्छ व पाकिस्तान के कराची में भूमि से टकराया।
विस्थापितों के लिए 8 जिलों में 1,521 आश्रय घर बनाए गए। भोजन के सवा लाख पैकेट भी तैयार किए गए।
मेडिकल टीमों के साथ एनडीआरएफ की 18 टीमें तैनात, 15 टीमें त्वरित मदद के लिए तैयार
जामनगर हवाई अड्डे से शुक्रवार तक उड़ानें स्थगित कर दी गई हैं।99 ट्रेनें रद्द : पश्चिम रेलवे ने कीं 23 और ट्रेनें रद्द। अब तक 99 ट्रेनें पूर्ण व 39 आंशिक निरस्त।
‘बिपरजॉय’ के चलते मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया सहित तटीय क्षेत्रों में समुद्र का रौद्र रूप देखने को मिला। मुंबई में कई फुट ऊंची लहरें उठ रही हैं।
पहले देश में कब-कब विनाशकारी तूफान आए?
2021: मई महीने में आए ताउते तूफान की वजह से 100 से अधिक लोगों की जान गई थी। उनमें से अधिकांश लोग गुजरात में मारे गए थे। इसके अलावा बेहद गंभीर चक्रवात के कारण कई लोगों के लापता होने की भी सूचना मिली थी। ताउते गुजरात के तट से टकराया था, जिसकी रफ्तार 210 किमी प्रति घंटे की थी।
2019: मई में आए तूफान फैनी ने लगभग 100 लोगों की जान ले ली थी। भारत में पांच साल में आए सबसे शक्तिशाली चक्रवात तूफान फैनी ने ओडिशा में दस्तक दी थी। कहा जाता है कि अगर चक्रवात आने से पहले 12 लाख लोगों को नहीं निकाला गया होता तो कई और लोग मारे जाते।
2014: अक्तूबर महीने में बंगाल की खाड़ी से उठे हुदहुद तूफान व उसके प्रभाव से हुई मूसलाधार बारिश ने आंध्रप्रदेश व ओडिशा में तबाही मचाई। इसने बंगाल, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब एवं हरियाणा में भी व्यापक असर डाला। इस तूफान की वजह से 25 लोगों की मौत हुई।
2010: पश्चिम बंगाल, बिहार और असम में 125 किलोमीटर की रफ्तार से आए भयंकर चक्रवात ने 120 लोगों की जान ले ली और 200 से ज्यादा लोग घायल हुए। इस चक्रवात ने अप्रैल महीने में दस्तक दी थी।
1999: एक ‘सुपर चक्रवाती तूफान’ ने पारादीप के पास ओडिशा तट को 260 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से पार किया, अक्तूबर महीने में आए तूफान की वजह से 9,885 लोग मारे गए और 2,142 घायल हुए।
1998: एक ‘अत्यंत गंभीर चक्रवाती तूफान’ 167 किमी प्रति घंटे की तीव्रता के साथ पोरबंदर के पास गुजरात तट को पार कर गया। जून महीने में दस्तक देने वाले तूफान की वजह से 1,173 लोगों की मौत हो गई और 1,774 लोग लापता हो गए।