कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को रोजगार और आवश्यक वस्तुओं की कीमतों के मुद्दों पर केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने दावा किया कि सरकार गरीबों और मध्यम वर्ग को भूल गई है, और पूंजीपतियों की संपत्ति बढ़ाने में व्यस्त है। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा को लोगों से जुड़े मुद्दों से उनका ध्यान भटकाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
उन्होंने कहा, ‘टमाटर 140 रुपये प्रति किलोग्राम, फूलगोभी 80 रुपये प्रति किलोग्राम, तूर दाल 148 रुपये प्रति किलोग्राम, ब्रांडेड अरहर दाल 219 रुपये प्रति किलोग्राम और रसोई गैस सिलेंडर 1,100 रुपये से अधिक है। पूंजीपतियों की संपत्ति बढ़ाने और जनता से टैक्स वसूलने में व्यस्त भाजपा सरकार गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को भूल चुकी है।’ राहुल गांधी ने आगे कहा कि युवा बेरोजगार हैं और अगर कहीं रोजगार है तो वहां आय बहुत कम है और महंगाई के कारण कोई बचत नहीं है। उन्होंने कहा, गरीब खाने के लिए तरस रहा है और मध्यम वर्ग बचाने के लिए तरस रहा है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि उनकी पार्टी के द्वारा शासित राज्यों में महंगाई से राहत देने के लिए गैस के दाम घटाए गए हैं और गरीबों के खातों में वित्तीय सहायता के लिए पैसा डाला गया है। गांधी ने कहा, भारत जोड़ो यात्रा नफरत दूर करने, महंगाई, बेरोजगारी दूर करने और समानता लाने का संकल्प है और भाजपा को जनता के मुद्दों से ध्यान भटकाने नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि नौ साल तक एक ही सवाल है कि आखिर यह अमृत काल किसके लिए है? विपक्षी पार्टी बेरोजगारी और आवश्यक वस्तुओं की कीमतों के मुद्दों पर सरकार पर हमला करती रही है और भाजपा पर नफरत की राजनीति के लिए समाज का ध्रुवीकरण करने का आरोप लगाती रही है।
राहुल गांधी गुरुवार से मणिपुर की अपनी दो दिवसीय यात्रा शुरू करेंगे। इस दौरान वह राहत शिविरों में जातीय संघर के विस्थापित लोगों से मुलाकात करेंगे और नागरिक समाज संगठनों के साथ बातचीत करेंगे। तीन मई को हिंसा भड़कने के बाद से कांग्रेस नेता का पूर्वोत्तर राज्य का यह पहला दौरा है।
पार्टी के सूत्रों ने बताया कि इंफाल पहुंचने के बाद राहुल का चुराचांदपुर जिले के लिए रवाना होने का कार्यक्रम है, जहां वह राहत शिविरों का दौरा करेंगे। इसके बाद वह बिष्णुपुर जिले के मोइरांग जाएंगे और विस्थापित लोगों से बातचीत करेंगे। उन्होंने कहा, शुक्रवार को गांधी इंफाल में राहत शिविरों का दौरा करेंगे और बाद में कुछ नागरिक समाज संगठनों के साथ बातचीत करेंगे।
इस साल मई में जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद से राज्य भर में 300 से अधिक राहत शिविरों में लगभग पचास हजार लोग रह रहे हैं। पूर्वोत्तर राज्य में मैतई और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा में अब तक 100 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।