नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने बुधवार को ड्रोन और उसके कंपोनेंट निर्माण के लिए पीएलआई स्कीम को मंज़ूरी दे दी थी. इसके बाद नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पीएलआई स्कीम को लागू कर दिया है. पीएलआई का मतलब है ‘प्रोडक्शन-लिंक्ड इनसेंटिव’.
मौजूदा इंडस्ट्री के आकार से दो गुना इनसेंटिव पैकेज
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गुरुवार को एक प्रेस कॉनफ़्रेंस में कहा कि पीएलआई स्कीम के तहत अगले 3 साल में 120 करोड़ रूपए इनसेंटिव के रूप में दिए जाएँगे. ये रक़म इस वक़्त मौजूदा ड्रोन सेक्टर के कुल आकार का दो गुना है.
2030 तक भारत बनेगा ड्रोन का ग्लोबल हब
एक अनुमान के मुताबिक़ अगले 3 सालों में ड्रोन निर्माण के क्षेत्र में 5 हज़ार करोड़ रूपए का इन्वेस्टमेंट हो सकता है. इससे बाज़ार में 10 हज़ार की संख्या में सीधे रोज़गार का सृजन होगा. मंत्रालय के अनुसार भारत 2030 तक ड्रोन निर्माण के क्षेत्र में एक ग्लोबल हब के रूप में उभरेगा. 2023-24 तक ड्रोन इंडस्ट्री 900 करोड़ रूपए तक की हो सकती है.
देश के सभी क्षेत्रों में ड्रोन का इस्तेमाल होगा
आने वाले समय में सरकार के सभी मंत्रालय अपने फ़ील्ड के कामों के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करेंगे. गाँव में लैंड मैपिंग का काम भी ड्रोन से होगा. रक्षा, स्वास्थ्य, मैनुफ़ैक्चरिंग, कार्गो आदि सभी क्षेत्रों में ड्रोन का इस्तेमाल होगा.
पीएलआई की मुख्य बातें
हालांकि बाक़ी सेक्टर में हर साल पीएलआई रेट हर साल घटता जाता है लेकिन ड्रोन इंडस्ट्री के लिए इसे 3 साल तक के लिए 20% पर स्थिर रखा जाएगा
जिन ड्रोन स्टार्टअप कम्पनियों की सालाना दो करोड रूपए की सेल होगी उन्हें पीएलआई का लाभ मिलेगा जबकि ड्रोन कम्पोनेंट वाली कम्पनियों की सालाना सेल 50 लाख होने पर उन्हें ये लाभ दिया जाएगा. जबकि बड़ी कम्पनियों (नॉन एमएसएमई) के लिए ये राशि ड्रोन और ड्रोन कम्पोनेंट निर्माण के लिए क्रमशः 4 करोड़ और 1 करोड़ रखी गई है. विदेशी कम्पनी के लिए ये राशि क्रमशः 8 करोड़ और 4 करोड़ है
किसी कम्पनी को कितना पीएलआई मिलेगा ये पता करने के लिए उस कम्पनी की सालाना सेल को उसकी सालाना ख़रीद से घटाने पर जो राशि आएगी उस राशि ( वैल्यू एडिशन) का 20% निकाल लें, यही उसका पीएलआई हुआ
- किसी भी कम्पनी को उसके वैल्यू एडिशन के पाँचवें हिस्से के बराबर पीएलआई मिलेगी.
- किसी कम्पनी को उसके वैल्यू एडिशन का 20% इनसेंटिव दिया जाएगा.
अगर किसी कम्पनी की सेल वर्तमान वर्ष में पीएलआई मानक से कम हुई है तो अगले वर्ष की अतिरिक्त सेल को वो कम्पनी अपने पिछले साल के सेल में दिखा कर इस साल होने वाले पीएलआई घाटे को अगले साल प्राप्त कर सकती है.
- एक कम्पनी तीन साल में अधिकतम 30 करोड़ का इंसेंटिव ले सकते हैं.
2026 तक ये ड्रोन मैनुफ़ैक्चरिंग एंड कम्पोनेंट सेक्टर 1.8 बिलियन यानी क़रीब 15 हज़ार करोड़ रूपए का बन जाएगा