नई दिल्लीः केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा और पंजाब के 13 जिलों में रहने वाले गैर-मुस्लिमों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने की खातिर आमंत्रित करने की अधिसूचना संशोधित नागरिकता कानून, 2019 (सीएए) से संबंधित नहीं है. इसके साथ ही केंद्र ने कहा कि यह (अधिसूचना) “केंद्र सरकार के पास निहित शक्ति स्थानीय अधिकारियों को सौंपने की प्रकिया मात्र’’ है.
1955 के नागरिकता कानून के तहत नहीं दी गई कोई छूट
गृह मंत्रालय ने कहा कि केंद्र सरकार ने 2004, 2005, 2006, 2016 और 2018 में भी इसी तरह का अधिकार दिया था और विभिन्न विदेशी नागरिकों के बीच उस पात्रता मानदंड के संबंध में कोई छूट नहीं दी गई है जो नागरिकता कानून 1955 और उसके तहत बनाए गए नियमों में निर्धारित है.
गृह मंत्रालय ने अपने हलफनामे में कहा कि 28 मई, 2021 की अधिसूचना सीएए से संबंधित नहीं है, जिसे कानून में धारा 6 बी के रूप में प्रविष्ट किया गया है. यह सिर्फ केंद्र सरकार के अधिकार स्थानीय अधिकारियों को सौंपने के लिए है.
IUML ने दायर की थी याचिका
हलफनामे में कहा गया है कि यह ” और अधिक जिलों के जिलाधिकारियों और अधिक राज्यों के गृह सचिवों को नागरिकता प्रदान करने के लिए शक्ति दिए जाने के संबंध में है.” गृह मंत्रालय ने कहा कि उक्त अधिसूचना में विदेशियों को कोई छूट नहीं दी गयी है और केवल उन विदेशी लोगों पर लागू होती है जिन्होंने कानूनी रूप से देश में प्रवेश किया है.
यह हलफनामा इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) की ओर से दायर एक याचिका के जवाब में दायर किया गया है. इसमें कहा गया है कि 28 मई, 2021 की अधिसूचना ऐसे विदेशियों के नागरिकता आवेदनों के शीघ्र निपटारे के लिए विकेंद्रीकरण की एक प्रक्रिया है क्योंकि अब प्रत्येक मामले की जांच के बाद निर्णय जिला या राज्य स्तर पर ही लिया जाएगा.
आईयूएमएल ने एक जून को सुप्रीम कोर्ट में केंद्र की अधिसूचना को चुनौती दी थी. याचिका में दलील दी गयी थी कि सीएए के प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली आईयूएमएल द्वारा दायर लंबित याचिका में केंद्र न्यायालय को दिए गए आश्वासन को दरकिनार करने की कोशिश कर रहा है.