तुर्की और सीरिया में आए भूकंप में मरनेवालों की संख्या 41,000 से अधिक हो गई है और बेघर व बुनियादी सुविधाओं के बिना लाखों लोगों को मानवीय सहायता की आवश्यकता है. मनोचिकित्सक हसीबे एब्रू बताते हैं कि हजारों लोग अपनी स्थिति को देखकर रो रहे हैं. कई ऐसे लोग हैं, जिन्हें नींद ही नहीं आ रही है. उन्होंने कहा, “मैं (भूकंप से बचे) कह रही हूं कि वे जो अनुभव कर रहे हैं, वो सामान्य है और सुरक्षित वातावरण में ये लक्षण धीरे-धीरे कम हो जाएंगे.” मनोचिकित्सक ने बताया, “यह वास्तव में उन्हें शांत करता है. वे राहत महसूस करते हैं, जब उन्हें पता चलता है कि वे पागल नहीं हो रहे हैं. वे वास्तव में समझदार हैं और यह कुछ ऐसा है जिसे कोई भी सामान्य व्यक्ति अनुभव करेगा. हम दिन भर उन पर नज़र रख रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि दीर्घकालिक मानसिक स्वास्थ्य प्रभावों को केवल समय के साथ ही समझा जा सकता है, क्योंकि लोग अलग-अलग तरीकों से आघात की प्रक्रिया को अनुभव करते हैं.प्राकृतिक आपदा से बचे लोगों ने जो अनुभव किया है, वह बहुत भयावह है. कुछ लोगों को ठंड और अंधेरे में घंटों के बाद मलबे से निकाला गया है. अब वह अपने परिवार सदस्यों को तलाश रहे हैं. कुछ के परिवार के सदस्य अब इस दुनिया में नहीं हैं. हजारों लोगों के घर कंक्रीट के ढेर में सिमट गए हैं. ऐसे में भूकंप के बाद पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर और पैनिक अटैक से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. डॉक्टरों ने बताया कि वे हजारों ऐसे लोगों का इलाज कर रहे हैं