उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सूबे के बड़े-बड़े माफियाओं पर अंकुश लगाने का दावा कर रहे हैं. बीते दो दिनों में सीएम योगी ने नगर निकाय चुनाव का प्रचार करते हुए सहारनपुर, शामली, अमरोहा, रायबरेली और उन्नाव में माफियाओं पर अंकुश लगाने को लेकर तमाम तरह के दावे किए. उन्होंने कहा कि, ‘अब न कर्फ्यू है न दंगा, यूपी में सब है चंगा’, ‘यहां न रंगदारी न फिरौती यूपी नहीं किसी की बपौती’.
सीएम योगी के कहने का साफ मतबल था कि यूपी में अपराध और भ्रष्टाचार के लिए अब कोई जगह नहीं. यहां माफिया अपनी जान की भीख मांग रहे हैं. उनके लिए दो आंसू बहाने वाले भी नहीं हैं, लेकिन यही सीएम योगी अपनी पार्टी के बागी हो रहे नेताओं पर अंकुश नहीं लगा पा रहे हैं. यहीं नहीं वह इन बागी नेताओं को लेकर कुछ बोल भी नहीं रहे हैं. जबकि राज्य के हर जिले में पार्टी के पुराने नेता पार्टी प्रत्याशियों के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं.
यही नहीं पार्टी के कई सांसद और विधायक भी अपने परिजन को टिकट न दिला पाने की वजह से खफा हैं और उनके परिजन पार्टी के खिलाफ बगावत पर उतर पड़े हैं. ऐसे में अब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने यह ऐलान किया है कि अगर पार्टी के बागी प्रत्याशी नहीं बैठे तो सांसद, विधायक और पदाधिकारियों की जिम्मेदारी तय होगी. भूपेंद्र चौधरी का मानना है कि पार्टी के बेकाबू हुए बागियों के पीछे पार्टी के सीनियर नेताओं का ही हाथ है.
हर जिले में बागी बेकाबू, BJP कैसे पाएगी काबू?
कुल मिलाकर बीजेपी में इस वक्त बागियों की भरमार हो गई है. हर जिले में पार्टी के फैसले के खिलाफ पार्टी के पुराने नेता और कार्यकर्ता अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं. इन सब का यही कहना है कि पार्टी में जुगाड़ के नेता-मंत्री फिर सफल हो गए हैं. ऐसे नेताओं के परिजन और समर्थक टिकट पाकर चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि वर्षों से पार्टी के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता फिर टिकट पाने से वंचित रहे गए हैं.
अब पार्टी के पुराने लोग सवाल कर रहे हैं कि यूपी के जल शक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटीक की दो बहनों को चेयरमैन का टिकट कैसे मिल गया, जबकि पार्टी का फैसला था कि किसी मंत्री, सांसद और विधायक के परिजन को टिकट नहीं मिलेगा. इसके बाद भी मेरठ की हस्तिनापुर सीट से विधायक और राज्यमंत्री दिनेश खटीक की बहन वर्षा मोघा को बीजेपी ने सहारनपुर के सरसावा अध्यक्ष पद का प्रत्याशी बनाया है.
इस सीट से पहले वर्षा के पति विजेंद्र मोघा चेयरमैन रहे हैं. आरोप है कि राज्यमंत्री ने बहनोई की जगह अपनी एक बहन को हस्तिनापुर सीट से और दूसरी बहन सुधा देवी को मेरठ की एक अन्य अध्यक्ष पद की सीट पर टिकट दिलाया है. पार्टी में चर्चा यह भी है कि कानपुर से पार्टी के सांसद सत्यदेव पचौरी अपनी बेटी नीतू सिंह के लिए टिकट मांग रहे थे, लेकिन पार्टी ने कानपुर नगर निगम की निवर्तमान महापौर प्रमिला पांडेय को प्रत्याशी बना दिया.
तब से सांसद सत्यदेव पचौरी पार्टी के कार्यक्रमों से दूरी बनाए हुए हैं. इसी तरह बदायूं की वजीरगंज नगर पंचायत में पार्टी ने ब्रजेश सिंह की पत्नी संगीता को प्रत्याशी बनाया है. इससे खफा होकर स्थानीय विधायक के दो करीबियों की पत्नी शंकुलता और ममता ने नामांकन दाखिल किया है.
सीनियर नेताओं ने एक दूसरे के खिलाफ खोला मार्च
प्रयागराज में भी पार्टी के दो सीनियर मंत्री एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. दोनों मंत्रियों की बीच अनबन का कारण सपा से बीजेपी में शामिल किए गए रईस शुक्ला बने हैं. रईस शुक्ला ने कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल नंदी के खिलाफ चुनाव लड़ा था. नंदी को बताए बिना ही डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य रईस शुक्ला को पार्टी में ले आए, जिसके चलते नंदी नाराज हैं.
इसी प्रकार बरेली, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, संतकबीर नगर, सिद्धार्थनगर, उन्नाव, गाजियाबाद आदि शहरों में पार्टी के बागी नेता पार्टी के समीकरण को बिगाड़ रहे हैं. शाहजहांपुर में भी पार्टी के नेता सपा के मेयर प्रत्याशी को पार्टी में चार घंटे पहले लाकर उन्हें पार्टी का मेयर प्रत्याशी घोषित किए जाने से खफा हैं.
सपा ने आई प्रत्याशी को मिला टिकट तो नाजार हो गए नेता
पार्टी नेताओं का कहना है कि कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना में अपनी इमेज बेहतर करने के लिए सपा के प्रत्याशी को पार्टी पर थोप दिया है, अब वही अपने दम पर पार्टी के प्रत्याशी को जिताएं. इसी तरह से अयोध्या के बीजेपी जिलाध्यक्ष अभिषेक मिश्रा ने बैठक में तेवर दिखा दिए. उनका कहना है कि बीजेपी ने अयोध्या नगर निगम में जिसको मेयर का प्रत्याशी बनाया है, उसे पार्टी के कार्यकर्ता और पदाधिकारी जानते तक नहीं हैं. वह पहले कभी पार्टी में नहीं रहे. इसीलिए उनको कार्यकर्ता पहचानते नहीं हैं.
विधायक,सांसद और पदाधिकारी निभाएं ये बड़ी जिम्मेदारी
फिलहाल हर जिले में पार्टी नेताओं की ऐसी नाराजगी को देखते हुए बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी अब आगे आए हैं. मंगलवार को उन्होंने पार्टी मुख्यालय में निकाय चुनाव में टिकट न मिलने से नाराज होकर बगावत करने वाले कार्यकर्ताओं के बारे में जानकारी ली. उनको हर हाल में मनाकर मैदान से हटाने का फरमान सुनाया है. भूपेंद्र चौधरी ने कहा है कि पार्टी के विधायक, सांसद और पार्टी पदाधिकारी जिस दावेदार की पैरवी कर रहे थे, वह टिकट न मिलने के कारण अगर बगावत कर चुनाव लड़ रहा है तो उसे मैदान से हटाया जाए.
भूपेंद्र चौधरी ने कहा कि अगर फिर भी किसी ने बगावत कर चुनाव लड़ा तो विधायक, सांसद और पदाधिकारी की जिम्मेदारी तय होगी. कहा जा रहा है कि अगर समय रहते बागियों को मैदान से नहीं हटाया गया तो एक तो निकाय चुनाव में नुकसान होगा और दूसरा लोकसभा चुनाव तक क्षेत्र में पार्टी का माहौल खराब रहेगा.
हर हाल में बागियों को मनाया जाए- भूपेंद्र चौधरी
इसके साथ ही पार्टी के कार्यकर्ताओं की नाराजगी का नुकसान भी झेलना पड़ेगा, जिसके चलते निकाय चुनाव में वोट प्रतिशत भी गिरेगा. इन सब संकटों का आकलन करते हुए ही भूपेंद्र चौधरी ने कहा कि सांसद, विधायक और पार्टी के पदाधिकारी मिलकर बागी उम्मीदवारों को हर हाल में समझाकर चुनाव मैदान से हटाकर पार्टी प्रत्याशी की राह आसान करें. अब देखना यह है कि भूपेंद्र चौधरी का यह प्रयास कितना असरदार साबित होता है.