देश के किसी भी हिस्से में फर्जी पते पर कंपनी बनाकर कारोबार करना अब आसान नहीं होगा। कंपनी के पंजीकृत पते की गहन जांच के बाद ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जांच का अधिकार कंपनी रजिस्ट्रार के पास रहेगा। कंपनी संशोधन विधेयक-2019 में ये प्रावधान किए गए हैं। मंगलवार को राज्यसभा में यह विधेयक पारित हो गया। लोकसभा इसे पहले ही मंजूरी दे चुकी है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में इस विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि नया कानून बनने के बाद कारोबार में सुगमता बढ़ेगी। मौजूदा व्यवस्था में पते के नाम पर महज पोस्ट बैग नंबर के सहारे ही कुछ कंपनियां चलाई जा रही थीं। मगर, नए प्रावधान लागू होने पर कंपनियों के पते का भौतिक सत्यापन होगा। कंपनी रजिस्टार की ओर से इसकी जांच की जाएगी। अगर कंपनी के पते में कोई फर्जीवाड़ा पाया गया तो संचालकों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई होगी। इससे फर्जी कंपनियों पर लगाम लगेगी।
चार लाख कंपनियों का पंजीकरण रद्द किया : निर्मला सीतारमण ने बताया कि अब तक चार लाख निष्क्रिय व मुखौटा कंपनियों का पंजीकरण रद्द किया जा चुका है। ये कंपनियां दो साल की अवधि से काम नहीं कर रही थीं, न ही इन्होंने सालाना रिटर्न दाखिल किया था। वित्त मंत्री ने कहा कि नया कानून बनने से राष्ट्रीय कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल पर काम का बोझ कम होगा।
कंपनियों को तीन साल की अवधि दी : सीएसआर के लिए कंपनियों को तीन साल की अवधि दी गई है। सीतारमण ने स्पष्ट किया कि कम से कम पांच करोड़ रुपये का लाभ अर्जित करने वाली या एक हजार करोड़ रुपये सालाना कारोबार वाली या फिर 500 करोड़ रुपये शुद्ध परिसंपत्ति (नेट वर्थ) वाली कंपनियां सीएसआर के दायरे में आएंगी।