कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर 12,000 करोड़ के लौह अयस्क निर्यात घोटाले का आरोप लगाया है. कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि केंद्र में बैठी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने पिछले 6 सालों में बार-बार ऐसे उदाहरण दिए हैं, जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि मोदी सरकार सिर्फ अपने कुछ चुनिंदा अमीर दोस्तों के लिए सत्ता में आई है.
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा का कहना है, ‘2014 से पहले लौह अयस्क (कच्चा लोहे) का निर्यात सिर्फ MMTC द्वारा ही किया जाता था। और MMTC भी सिर्फ वह लौह अयस्क निर्यात कर सकती थी जिसमें 64 प्रतिशत लोहे की संकेन्द्रण इससे ऊपर के स्तर का लोहा बेचने से पहले MMTC को भी सरकार से अनुमति लेनी पड़ती थी, जिबकी MMTC में 89 प्रतिशत हिस्सेदारी सरकार की है. लौह अयस्क के निर्यात पर 30 प्रतिशत निर्यात शुल्क भी लगता था. यह इसलिए किया जाता था ताकि उम्दा स्तर का लोहा देश में ही रहे और देश के स्टील प्लांट के उपयोग में आए.’
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा के मुताबिक, ‘2014 में जब मोदी सरकार आई तो यह तमाम नियम कानून-आनन फनन में बदल दिए गए. स्टील मंत्रालय ने सबसे पहले तो 64 प्रतिशत लौह संकेन्द्रण का नियम बदला और Kudremukh Iron Ore Company Limited (KIOCL) को चीन, ताइवान, दक्षिण कोरिया और जापान में लौह अयस्क निर्यात की अनुमति दी. इसके अलावा मंत्रालय ने नीति में एक और परिवर्तन करते हुए यह घोषणा की कि लौह अयस्क पर तो 30 प्रतिशत निर्यात शुल्क जारी रहेंगे लेकिन अगर यह लौह अयस्क छर्रों के रूप में निर्यात किया जाए तो उस पर कोई निर्यात शुल्क लागू नहीं होगा.
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा का कहना है, ‘निर्यात करने की अनुमति KIOCL को प्राप्त थी, लेकिन 2014 से अब तक कई निजी कंपनियों ने छर्रों के माध्यम से हिन्दूस्तान का लौह अयस्क निर्यात करना शुरू कर दिया. इस पर शुल्क के रूप में हजारों करोड़ रूपये की चोरी हुई. अनुमान यह है कि इन निजी कंपनियों ने 2014 से अब तक लगभग 40 हजार करोड़ रूपये का लौह अयस्क निर्यात किया है.’
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा का आरोप है कि केंद्र सरकार की गलत नीति से न केवल बेशकीमती प्राकृतिक संसाधन को लुटाया गया बल्कि 12,000 करोड़ रूपये का निर्यात शुल्क भी चोरी किया गया. Foreign trade (Development and Regulation) Act 1992 के तहत इन कंपनियों पर लौह अयस्क छर्रों के गैर कानूनी निर्यात पर 2 लाख करोड़ का जुर्माना बनता है.’
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने केंद्र सरकार से पांच सवाल भी पूछे हैं.
- उच्च गुणवत्ता के लौह अयस्क जिसमें 64 प्रतिशत से ज्यादा लोहे का संकेन्द्रण हो के निर्यात की अनुमति क्यों दे दी गई ?
- वह कौन सी कंपनियां हैं जिन्होंने 2014 से लेकर अब तक बिना अनुमति के लौह अयस्क का निर्यात किया ? उनके नाम सार्वजनिक किए जाए.
- 2014 से लेकर अब तक क्या सरकार ने, क्या सरकार की किसी भी जांच एजेंसी ने लौह अयस्क के गैर कानूनी निर्यात को लेकर किसी भी निजी क्षेत्र की कंपनी की जांच की ?
- केन्द्र सरकार ने अपने किसी मंत्री अथवा इससे संबंधित अधिकारी जिन्होंने यह गैर कानूनी निर्यात होने दिया पर क्या कार्यवाही हुई ?
- इस 2 लाख करोड़ के घोटाले में देश के बेशकीमती प्राकृतिक संसाधनों की खुली लुट हुई है इसकी नैतिक जिम्मेदारी नरेन्द्र मोदी जी किस पर टालेंगें.