छत्तीसगढ में टीएस सिंह देव को उपमुख्यमंत्री बनाकर प्रदेश कांग्रेस की रस्साकशी खत्म करने की पार्टी हाईकमान की पहल के बाद अब राजस्थान में भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के झगड़े का समाधान निकलने की उम्मीदें बढ़ गई हैं।
छत्तीसगढ के सफल प्रयोग के बाद राजस्थान में सत्ता-संगठन के बीच लंबे समय से जारी उठापटक को खत्म कर विधानसभा चुनाव की रणनीति तय करने के लिए कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश के शीर्ष नेताओं की तीन जुलाई को बैठक बुलाई है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की ओर से बुलाई जा रही यह बैठक पहले शनिवार को प्रस्तावित थी, मगर अब यह सोमवार को होगी। अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के साथ ही सचिन पायलट भी बैठक में शामिल होंगे। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल के अलावा राजस्थान के कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा भी इस अहम बैठक में शिरकत करेंगे।
बेशक यह बैठक इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा के लिए बुलाई गई है, मगर इसमें गहलोत-पायलट के बीच लंबे समय से चल रहे विवाद का हल निकालने का मसला प्राथमिकता में होगा। राजस्थान के अगले चुनाव में कांग्रेस दुबारा सत्ता में वापसी का चाहे दम भर रही हो पर यह भी वास्तविकता है कि इसके लिए सचिन पायलट की नाराजगी की अनदेखी करने का जोखिम पार्टी नहीं ले सकती।
अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच कांग्रेस हाईकमान ने मध्यस्थता करते हुए सुलह बैठक कराई थी और समाधान का फार्मूला निकालने पर सहमति बनी थी। इसके मद्देनजर ही यह उम्मीद की जा रही है कि कांग्रेस नेतृत्व सचिन पायलट को भी टीएस सिंह देव की तर्ज पर उनके राजनीतिक कद के हिसाब से सम्माजनक जिम्मेदारी देगा।
छत्तीसगढ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जैसे ही ढाई साल का कार्यकाल पूरा किया उसके बाद सिंह देव ने पार्टी नेतृत्व पर बाकी बचे आधे समय के लिए सीएम बनाने का दबाव बनाना शुरू कर दिया।
पिछले दो साल में कई मौकों पर छत्तीसगढ में सत्ता सियासत की यह रस्साकशी सामने आयी और आखिरकार बुधवार को मल्लिकार्जुन खरगे व राहुल गांधी के साथ सूबे के शीर्ष नेताओं की बैठक हुई जिसके बाद हाईकमान ने टीएस सिंह देव को डिप्टी सीएम बनाने का एलान किया।
इसलिए संभावना जताई जा रही है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ने का इरादा तय कर लेने के बावजूद पार्टी नेतृत्व सचिन पायलट की अनदेखी नहीं करेगा और सूबे के नेताओं संग बैठक के बाद पायलट को सत्ता-संगठन में अहम भूमिका देने का फार्मूला निकाला जाएगा।