प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा है. वहीं, उन्होंने नए वक्फ कानून को सामाजिक न्याय की दिशा में उनकी सरकार का एक महत्वपूर्ण कदम बताया है. साथ ही साथ जिक्र किया कि 2013 में बनाया गया कानून भू-माफिया और मुस्लिम कट्टरपंथियों को खुश करने की कोशिश थी. यही नहीं, प्रधानमंत्री ने बताया जम्मू-कश्मीर को लेकर कहा है कि अलगाववाद आतंकी आग में सबसे ज्यादा देश की युवा ही झुलसा है.
पीएम मोदी मंगलवार को एक समाचार चैनल के कार्यक्रम में बोल रहे थे. उन्होंने कहा, ‘तुष्टिकरण की राजनीति में कांग्रेस को सत्ता मिली, कुछ कट्टरपंथी नेताओं को ताकत और दौलत मिली, लेकिन सवाल ये है कि आम मुसलमान को क्या मिला? गरीब पसमांदा मुसलमान को क्या मिला? उसे मिली उपेक्षा, अशिक्षा और बेरोजगारी, जबकि मुस्लिम महिलाओं को मिला शाहबानो जैसा अन्याय.’ उन्होंने कहा, ‘मैं देश की संसद को, सर्वसमाज के हित में, मुस्लिम समाज के हित में एक शानदार वक्फ कानून बनाने के लिए बधाई देता हूं. अब वक्फ की पवित्र भावना की भी रक्षा होगी और गरीब-पसमांदा मुसलमान, महिला-बच्चे, सबके हक भी महफूज रहेंगे.’
‘वक्फ कानून ने न्याय को सीमित कर दिया था’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘2013 में वक्फ कानून में संशोधन मुस्लिम कट्टरपंथियों और भू-माफिया को खुश करने का प्रयास था. इस कानून ने यह भ्रम पैदा किया कि यह संविधान से ऊपर है. संविधान में न्याय का जो रास्ता बताया गया था, उसे वक्फ कानून ने सीमित कर दिया. इस कानून ने भू-माफिया और कट्टरपंथियों को बढ़ावा दिया. केरल में ईसाइयों की जमीन पर वक्फ का दावा था, हरियाणा में गुरुद्वारों की जमीन पर विवाद था और कर्नाटक में किसानों की जमीन पर दावे थे.’
उन्होंने कहा, ‘मैं संसद को एक शानदार कानून बनाने के लिए बधाई देता हूं. अब वक्फ की पवित्र मंशा को बरकरार रखा जाएगा और गरीब पसमांदा मुसलमानों, महिलाओं और बच्चों के अधिकारों की भी रक्षा की जाएगी. दोनों सदनों में विधेयक पर 16 घंटे चर्चा हुई, साथ ही संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की 38 बैठकें हुईं, जिसमें कुल 128 घंटे विचार-विमर्श हुआ. देशभर के नागरिकों से करीब एक करोड़ सुझाव मिले. यह इस बात को रेखांकित करता है कि लोकतंत्र संसद की दीवारों तक सीमित नहीं है, इसे सक्रिय जनभागीदारी के माध्यम से समृद्ध और मजबूत किया जा रहा है.’
दशकों तक भारत में भय का माहौल रहा- पीएम
पीएम मोदी ने कहा, ‘दशकों तक भारत में डर का, भय का, आतंक का माहौल बढ़ता ही गया. इसका सबसे बड़ा नुकसान युवाओं को ही हुआ. हिंसा और अलगाववाद आतंकी आग में सबसे ज्यादा देश की युवा ही झुलसा है. जम्मू-कश्मीर में दशकों तक युवाओं की अनेक पीढ़ियां बम, बंदूक और पत्थरबाजी में खप गई, लेकिन दशकों तक देश पर शासन करने वाले इस आग को बुझाने की साहस नहीं दिखा पाए. हमारी सरकार की मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति से आज वहां हालत बदले हैं. आज जम्मू-कश्मीर का नौजवान विकास से जुड़ चुका है.