दिल्ली में चुनाव के दौरान सामने आई CAG की रिपोर्ट ने अरविंद केजरीवाल सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है. CAG रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दिल्ली सरकार की आबकारी नीति के कारण सरकारी खजाने को 2,026 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. इस रिपोर्ट ने शराब घोटाले की गूंज को और तेज कर दिया है. खासतौर पर दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ही ये रिपोर्ट सामने आई है.
सरकार को 2,026 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ – शराब नीति को बनाते वक्त एक्सपर्ट की राय को दरकिनार किया गया – एक्सपर्ट के पैनल की सलाह ली तो गई लेकिन उनकी सिफारिशों को दरकिनार कर दिया गया – शराब कंपनियों को लाइसेंस जारी करते वक्त गड़बड़ी – पहले से घाटे में चल रही और ब्लैकलिस्ट कंपनियों को जारी किए गए लाइसेंस – शराब नीति के बनाने और लागू करने में पारदर्शिता की कमी – शराब की क़ीमत और लाइसेंस देने में पारदर्शिता की कमी उजागर – शराब नीति को लेकर फ़ैसले लेने में कैबिनेट और लेफ़्टिनेंट गवर्नर की अनदेखी के आरोप – शराब नीति में कोविड के नाम पर कई कंपनियों की ग़लत तरीक़े से 144 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस माफ़ की गई. ख़ास बात ये है कि इस कैग रिपोर्ट में शराब नीति से हुए नुक़सान का भी विस्तृत विश्लेषण किया गया है. इस विश्लेषण में कोविड 19 को लेकर दी गई छूट और पुराने लाइसेंस को दोबारा रिन्यू ना करने से हुए नुकसान को भी शामिल किया गया है.
सरकारी खजाने को कैसे हुआ नुकसान
-वापस लिए गए लाइसेंसों को दोबारा टेंडर न करने से 890 करोड़ रुपये का नुकसान – ज़ोनल लाइसेंस धारकों को अनुचित छूट से 941 करोड़ रुपये का नुकसान – कोविड-19 के नाम पर दी गई गलत माफी से 144 करोड़ रुपये का नुकसान – सुरक्षा जमा राशि सही से ना वसूलने से 27 करोड़ रुपये का नुकसान आरोप लगाए गए है कि लाइसेंस धारकों और थोक विक्रेताओं के बीच गलत समझौते किए गए. शराब की गुणवत्ता जांचने के लिए न तो टेस्टिंग लैब बनाई गई और न ही खुदरा दुकानों को समान रूप से बांटा गया. जाहिर सी बात है इस रिपोर्ट से दिल्ली में चुनावी माहौल गर्म हो गया है. बीजेपी ने इस रिपोर्ट को हथियार बनाकर आम आदमी पार्टी पर सीधा हमला बोला है. उसने आरोप लगाया कि इस नीति से जनता का नुकसान हुआ, जबकि AAP नेताओं को मोटा कमीशन मिला. हालांकि, आम आदमी पार्टी ने इस रिपोर्ट को राजनीति से प्रेरित बताया है.