दिल्ली सर्विस बिल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज अप्रूव कर दिया है. उनके हस्ताक्षर के साथ ही यह आज से कानून बन गया. यह कानून उस अध्यादेश की जगह लेगा जिसके तहत केंद्र सरकार ने आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार से दिल्ली की नौकरशाही पर नियंत्रण छीन लिया था. संसद में भारी हंगामे के बीच बिल पारित हुए. आम आदमी पार्टी को कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने समर्थन दिया, बावजूद इसके राज्यसभा में बिल को अच्छा समर्थन मिला.
राष्ट्रपति ने चार बिलों को अप्रूव कर आज कानून की शक्ल दी है. इनमें डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल भी शामिल है. इनके अलावा रजिस्ट्रेशन ऑफ बर्थ एंड डेथ (संशोधन) बिल और द जन विश्वास (अमेंडमेंट्स ऑफ प्रोविजन) बिल को भी आज राष्ट्रपति मुर्मू ने अप्रूवल दी है. दो बिलों पर उन्होंने हस्ताक्षर किए हैं. दिल्ली सेवा बिल को जब वोटिंग के लिए पटल पर रखा गया तो विपक्षी नेता सदन से वॉकआउट कर गए थे.
केंद्र ने 19 मई को जारी किया था दिल्ली अध्यादेश
राजधानी दिल्ली में सर्विसेज पर कंट्रोल के लिए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटते हुए 19 मई को एक अध्यादेश जारी किया था. गृह मंत्री अमित शाह ने केंद्र के इस प्रस्तावित कानून का संसद में पुर्जोर बचाव किया. संसद में उन्होंने कहा कि यह अध्यादेश सर्वोच्च न्यायालय के उस आदेश के तहत है जिसमें कहा गया है कि संसद को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से संबंधित कानून बनाने का अधिकार है. संविधान में ऐसे प्रावधान हैं जो केंद्र को दिल्ली के लिए कानून बनाने की इजाजत देता है.
दिल्ली सर्विस बिल को राज्यसभा में मिला अच्छा समर्थन
दिल्ली सेवा बिल पारित होने से पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने एक ट्वीट में कहा था कि यह दिल्ली के लोगों को ‘गुलाम’ बनाने की कोशिश है. राज्यसभा में आम आदमी पार्टी की तमाम कोशिशों के बाद भी बिल के समर्थन में 130 वोट पड़े, जबकि विपक्षी गठबंधन सिर्फ 102 वोट ही जुटा सका था. मणिपुर मुद्दे पर विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी के बीच डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (डीपीडीपी) विधेयक ध्वनि मत से पारित किया गया. इस बिल के जरिए विपक्ष का आरोप है कि सरकार देश को सर्विलांस स्टेट बनाने की कोशिश कर रही है.