मुखर्जी नगर के एक कोचिंग सेंटर में लगी भीषण आग ने दिल्ली में भविष्य में होने वाली बड़ी दुर्घटना की ओर इशारा किया है। दिल्ली में पांच हजार से ज्यादा कोचिंग सेंटर चल रहे हैं। आश्चर्यजनक रूप से इन शिक्षण संस्थानों के लिए फायर डिपार्टमेंट से एनओसी (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) लेना तक अनिवार्य नहीं है, जबकि होटल, रेस्टोरेंट, सिनेमा हॉल, मॉल या मैरिज हॉल सहित सभी सार्वजनिक भवनों के लिए इस तरह का सर्टिफिकेट होना अनिवार्य है। सोमवार को दिल्ली फायर विभाग के शीर्ष अधिकारियों की दिल्ली सरकार के साथ होने वाली बैठक में सभी शिक्षण संस्थाओं के लिए फायर विभाग से एनओसी लेना अनिवार्य किया जा सकता है।
मुखर्जी नगर अग्निकांड के बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया जिसके बाद संबंधित विभागों के मंत्री-अधिकारी सतर्क हो गए। छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न मामलों पर विचार किया जा रहा है। इस मामले में यह बात सामने आई है कि इन शिक्षण संस्थाओं और छात्रावासों के लिए फायर विभाग से एनओसी लेना तक अनिवार्य नहीं है, लेकिन अब एनओसी सहित सभी शिक्षण संस्थाओं को सार्वजनिक भवनों के लिए आवश्यक अन्य नियमों का पालन करना अनिवार्य बनाया जा सकता है। इसमें दिव्यांग छात्रों के लिए रैंप और विशेष रूप से बनाए गए शौचालय होना अनिवार्य किये जाने की तैयारी है।
छोटे-छोटे शिक्षण संस्थान, हॉस्टल और इनमें पढ़ रहे छात्र विभाग की इस कार्रवाई से प्रभावित न हों, इसके लिए उन्हें अस्थाई तौर पर स्ट्रक्चर से जुड़ी कुछ सहूलियत दी जा सकती है, लेकिन एनओसी को तत्काल प्रभाव से अनिवार्य किया जा सकता है।
मुखर्जी नगर के बत्रा कांप्लेक्स के भंडारी हाउस में गुरुवार 12 बजे के करीब शॉर्ट सर्किट के कारण आग लग गई थी। आग लगने की घटना के समय लगभग 500 छात्र भंडारी हाउस में चल रहे विभिन्न कोचिंग संस्थानों में अपने-अपने विषय की पढ़ाई कर रहे थे। त्वरित कार्रवाई के कारण सभी छात्रों को बाहर निकाल लिया गया। कुछ छात्रों ने रस्सी के सहारे उतरकर अपनी जान बचाई। सभी छात्रों को सकुशल बाहर निकाल लिया गया, लेकिन कुछ छात्रों को मामूली तौर पर चोटें आईं और प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
मुखर्जी नगर में हुई इस घटना का दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लिया। अदालत ने दिल्ली में चल रहे सभी कोचिंग संस्थानों में सुरक्षा ऑडिट की रिपोर्ट तलब की है। इस मामले में 3 जुलाई को अगली सुनवाई होगी।
दिल्ली शिक्षा का बड़ा केंद्र है, यहां विभिन्न विषयों की पढ़ाई करने और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए देश-विदेश से छात्र आते हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय और जेएनयू के आसपास के क्षेत्रों में लगभग पांच हजार कोचिंग संस्थान हैं, जिनमें लाखों छात्र अपना भविष्य बनाने की कोशिश करते हैं। इन छात्रों के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में छोटे-बड़े हॉस्टल भी बन चुके हैं। इन हॉस्टल में भी पर्याप्त सुरक्षा के उपाय नहीं किए गए हैं। ऐसे में यहां भी बच्चों की सुरक्षा दांव पर लगी हुई है। छात्र संगठनों ने ऐसे कोचिंग संस्थानों और हॉस्टल मालिकों के विरुद्ध तत्काल कार्रवाई की मांग की है। आग लगने के बाद सुरक्षा को लेकर छात्रों का गुस्सा देखते हुए कोचिंग संचालकों ने अस्थाई तौर पर अपने कोचिंग संस्थान तीन दिनों तक के लिए बंद कर दिए हैं। सोमवार से इन संस्थाओं में दुबारा पढ़ाई शुरू हो सकती है।
मुखर्जी नगर अग्निकाड की पुलिस जांच कर रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस मामले में अभी तक 30 छात्रों सहित कुल 61 लोगों से पूछताछ हो चुकी है। पूरे मामले की जानकारी के लिए पुलिस अभी और लोगों से पूछताछ कर रही है। इस बात की भी जांच की जा रही है कि यह आग शॉर्ट सर्किट के कारण ही लगी थी, या इसके पीछे कोई साजिश थी। पुलिस हर कोण से मामले की जांच कर रही है।
यूनाईटेड हिन्दू फ्रंट के अंतर्राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जय भगवान गोयल ने मुखर्जी नगर के छात्र-छात्राओं से मुलाकात की। उन्होंने वहां चल रहे कोचिंग सेंटरों और पुस्तकालयों का अवलोकन किया। गोयल ने कहा कि जिन बिल्डिंगों में 50 लोगों को एक साथ बिठाने की सुविधा नहीं है, वहां 300 बच्चों को एक साथ बिठाकर पढ़ाना बड़ी दुर्घटना को दावत देने जैसा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के राज्यपाल, मुख्यमंत्री मुखर्जी नगर के छात्र-छात्राओं के साथ हो रहे अन्याय, शोषण व उनके जान माल के साथ हो रहे खिलवाड़ पर तुरंत कार्यवाही करें, अन्यथा दिल्ली वालों को कभी भी ‘उपहार अग्निकांड’ जैसे हादसे का सामना करना पड़ सकता है