दिल्ली में कोरोना के मामलों में कमी बाद अब वायरल, डेंगू और मलेरिया के मरीजों के आंकड़े बढ़ते नजर आ रहे हैं. दिल्ली में सितंबर-अक्टूबर के महीने में जगह जगह पानी के जमा होने से डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों का पीक सीजन होता है. स्वास्थ विभाग और नगर निगम में इन बीमारियों की रोकथाम को लेकर रोजाना बैठक भी चल रही हैं, क्योंकि थोड़ी से लापरवाही भी भारी पड़ सकती है. बता दें कि, डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या का पता लगाना निगम की ही जिम्मेदारी होती है.
दिल्ली में पिछले साल के मुकाबले डेंगू मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है. दिल्ली में जनवरी से मई तक 29 डेंगू के मरीज आए थे. मरीजों का ये आंकड़ा सितंबर के महीने में अब तक 100 तक पहुंच गया है. हालांकि अब इस बात को लेकर चिंता है कि कहीं ये आंकड़ें महामरी का रूप ना ले लें, जिसके बाद इस पर काबू पाना खासा मुश्किल हो जाएगा.
बीमारियों से लड़ने के लिए दिल्ली नगर निगम ने कसी कमर
दिल्ली के नगर निगमों ने इन बीमारियों से लड़ने के लिए कमर कस ली है और लोगों को जागरूक करने का काम शुरू कर दिया है. दक्षिणी दिल्ली के मेयर अपने कर्मचारियों के साथ कोई भी काम शुरू करने से पहले अपने इलाके में लोगों को जागरूक करने का काम कर रहे हैं. हालांकि इन बीमारियों के प्रति सचेत रहने की नगर निगम की अपील के बावजूद पिछले हफ्ते तक दक्षिणी दिल्ली में 29 केस रिपोर्ट हुए थे.
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के मेयर मुकेश सूर्यान ने बताया, “डेंगू, चिकनगुनिया की रोकथाम के लिए हमारे सभी कर्मचारी , पार्षद, अधिकारी आरडब्ल्यूए के साथ समन्वय बना कर नुक्कड़ मीटिंग कर रहे हैं और लोगों में जागरूकता फैलाने का काम किया जा रहा है. गमलों, क्यारियों और टंकियों का पानी साफ करने का काम किया जा रहा है. अखबार, टीवी और व्हाट्सएप के जरिये लोगों को जागरूक और सतर्क किया जा रहा है. हर दिन , हर गली-हर घर जा जा कर हमारे कर्मचारी लोगों को समझाने और इन बीमारियों के प्रति किस तरह बसे सावधानी बरतनी है ये सिखाने का काम कर रहे हैं. हमारी लोगों से अपील है कि वो अपने आस पास कहीं भी पानी जमा ना होने दें क्योंकि इस से मच्छर पनप सकते हैं.
संवेदनशील इलाकों पर दिया जा रहा है ज्यादा ध्यान
जिन इलाकों में अब तक डेंगू और मलेरिया के सबसे ज्यादा केस सामने आए है, वहां इन से बचाव और रोकथाम को लेकर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. इसलिए पूर्वी दिल्ली के मेयर श्याम सुंदर अग्रवाल इन संवेदनशील इलाकों पर फोकस कर रहे हैं, जिसके तहत यहां दो तरह से फॉगिंग की जा रही है. इनमें से एक छोटी मशीन साइकिल पर लेकर फॉगिंग की जाती है वहीं बड़ी मशीन को टेंपो में रख कर इलाके में छिड़काव किया जा रहा है.
श्याम सुंदर अग्रवाल ने बताया, “पूर्वी दिल्ली नगर निगम में अब तक डेंगू के 12 मामले आए हैं जबकि पूरी दिल्ली में 100 से ज्यादा केस आ चुके हैं. हालांकि दिल्ली के बाकी हिस्सों के मुकाबले यहां हालात काफी हद तक कंट्रोल में हैं. हमारे यहां डेंगू और चिकनगुनिया के मामले ना बढ़ें इसलिए हर घर में फॉगिंग, कूलरों में दवाई, पानी की टंकियों की सफाई और दवाइयां डलवाने का काम किया जा रहा है. नालियों में भी दवाई का छिड़काव करवाया जा रहा है. इलाके में अब और कोई केस ना बढ़े हमारे कर्मचारी इस कोशिश में लगे हुए हैं. 5 साल पहले बहुत बड़ी संख्या में केस आए थे तब से लगातार हम लोग लोगों को जागरूक करने का काम कर रहे हैं. हमारे सैकड़ों वर्कर्स सुबह 9 से 4 बजे तक ये काम कर रहे हैं.”
डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया से बचाव के लिए इन बातों का रखें ध्यान
डेंगू के मच्छर साफ लेकिन ठहरे पानी में पनपते हैं, जबकि मलेरिया के मच्छर गंदे पानी में भी पनपते हैं.
शहरी इलाकों में डेंगू जबकि ग्रामीण इलाकों में मलेरिया का खतरा ज्यादा रहता है.
इसलिए शहरों में कूलर, एसी या घरों के गमलों में भरे साफ पानी में पनपने वाले लार्वा को हटाने को लेकर विशेष फोकस होना चाहिए.
ग्रामीण इलाकों में गाय, भैंस इत्यादि पशुओं को देने वाले पानी को हर दूसरे दिन बदला जाए.
शौच खुले में करने से बचें, साफ सफाई का खास खयाल रखा जाए तो ये मुसीबत भी आसानी से टल सकती है.
क्या कहती है दिल्ली के नगर निगमों की रिपोर्ट
नगर निगमों की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक इस साल 28 अगस्त तक डेंगू के 97 मामले दर्ज किए गए हैं. ये आंकड़ा केवल सितंबर के शुरुआती हफ्ते में बढ़ कर 100 तक पहुंच गया है जो कि चिंता का विषय है. मानसून की देर से दस्तक और बारिश के बाद कोरोना की तीसरी लहर की आशंका है ,साथ ही डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया की चुनौती भी सामने है. हालांकि प्रशासन और आम लोगों के स्तर पर अगर सावधानी बरती जाए तो काफी हद तक हालात काबू में रह सकते हैं.
कोरोना की पहली और दूसरी लहरों के दौरान दिल्ली के कुछ प्राइवेट अस्पतालों में ऐसे मरीज सामने आए थे जिन्हें कोरोना भी हुआ था और वो डेंगू की चपेट में भी आ गए थे. ऐसे मामले काफी क्रिटिकल हो गए थे और ऐसे मरीजों का अस्पताल में ही इलाज संभव था. ऐसे में इन बीमारियों पर काबू करना बड़ी चुनौती है.