Assembly Elections 2022: तय हो गया है कि कोरोना काल में हो रहे चुनाव के लिए चुनाव आयोग का वर्चुअल प्रचार पर जोर है. फिलहाल हफ्तेभर के लिए रैलियों, जनसभाओं पर रोक है. आगे की रैलियों का फैसला कोरोना के हालात को देखकर किया जाएगा. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि आखिर राजनीतिक दल इसके लिए कितनी तैयार हैं? क्या इस बार चुनाव प्रचार वर्चुअल हो पाएगा?
15 जनवरी तक चुनावी शोर पर रोक
चुनावों की घोषणा से पहले जो बड़ी-बड़ी रैलियां, चुनावी यात्रायें, झंडे-डंडे, बैनर-पोस्टर और चुनावी शोर सब जगह दिख रहा था, वो फिलहाल मौन हैं. चुनाव आयोग ने फिलहाल 15 जनवरी तक इन सब पर रोक लगाई है.
मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने बताया, ‘’रोड शो, पदयात्रा, बाइक रैली, की इजाजत नहीं है. इसके बाद हालात की समीक्षा की जाएगी. कोई रैली भी नहीं होगी 15 जनवरी तक.’’ . लेकिन राजनीतिक दलों के सामने अब ये नई चुनौती आ गई है कि वो चुनावी रैलियों, जनसभाओं को वर्चुअल में कैसे शिफ्ट करें.
छोटे दलों के सामने इन्फ्रास्ट्रक्चर की समस्या
कई ऐसी पार्टियां हैं, जिनके सामने वर्चुअल रैलियों के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर की समस्या है. ऐसा संकट छोटी पार्टियों के सामने ज्यादा है. इसकी चिंता समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी जताई. अखिलेश यादव ने कहा, ‘’जिन पॉलीटिकल पार्टीज और वर्कर के पास वर्चुअल रैली के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है, आखिरकार वे अपनी वर्चुअल रैली कैसे करेंगे. इसलिए इलेक्शन कमिशन को कहीं ना कहीं कुछ तो सहयोग करना चाहिए. चाहे वह चैनल के माध्यम से विपक्ष के लोगों को समय ज्यादा दें. अगर वर्चुअल रैली के लिए हम जाएंगे, उसके लिए कहीं ना कहीं इलेक्शन कमिशन को सोचना चाहिए.’’
सत्ता पक्ष के लिए कोई परेशानी नहीं- कांग्रेस
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मलिल्कार्जुन खड़गे ने कहा, ‘’आर्थिक रूप से कमजोर दलों को ही समस्याओं का सामना करना पड़ेगा. पीएम मोदी पहले भी कई राजनीतिक रैलियां कर चुके हैं. वह पिछले एक महीने से दौरा कर रहे हैं और यूपी के सीएम योगी से 10-15 से ज्यादा बार मिल चुके हैं. सत्ता पक्ष के लिए कोई परेशानी नहीं है.’’
हवा की ओट में अब किसका चिराग जलेगा और किसका चिराग हवा बुझा देगी, इसका पता तो 10 मार्च को ही चलेगा. फिलहाल महामारी के बीच वर्चुअल चुनाव प्रचार के अलावा कोई रास्ता भी नहीं बचा था.