पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत और कांग्रेस की हार की वकालत करने वाले एक वीडियो को मायावती ने फर्जी करार दिया है. बीते कुछ दिनों से कथित रूप से उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल था, जिसमें वह कांग्रेस पार्टी को हराने की अपील करती नजर आ रही हैं. इस वीडियो पर अपने स्पष्टीकरण में उन्होंने कांग्रेस पार्टी को ही आड़े हाथों लिया है. उन्होंने कथित फर्जी वीडियो पर कहा कि कांग्रेस पार्टी इसको प्रचारित कर रही है.
बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने कहा कि एमपी, छत्तीसगढ़, राजस्थान आदि में मतदान पूर्व “चाहे भाजपा जीत जाए किन्तु कांग्रेस को नहीं जीतना चाहिए” जैसा विशुद्ध गलत और फर्जी वीडियो का कांग्रेस द्वारा प्रचारित करना दुर्भाग्यपूर्ण है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस पार्टी की हताशा का प्रतीक. यह षडयंत्र बीएसपी की मजबूत स्थिति को देखते हुए है. उन्होंने लोगों से सावधान रहने की अपील की है.
मायावती अकेले लड़ेंगी विधानसभा चुनाव
बहुजन समाज पार्टी राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव स्वतंत्र रूप से लड़ने का फैसला किया है. इस कदम से इन राज्यों में पार्टी की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही देखा जा रहा है. मायावती ने अपने पारंपरिक समर्थन के साथ चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया है, जिसमें दलित, आदिवासी और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) मतदाता शामिल हैं.
तीन राज्यों में बीएसपी का ट्रैक रिकॉर्ड
पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक आकाश आनंद के मुताबिक, बीएसपी का लक्ष्य तेलंगाना सहित अन्य राज्यों के चुनाव में खुद को तीसरे मोर्चे के रूप में स्थापित करना है. 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में, बीएसपी ने 4.03% वोट हासिल किए और छह सीटें जीती थीं. मध्य प्रदेश में उसे 5.01% वोट मिले और दो सीटें जीतीं, जबकि छत्तीसगढ़ में पार्टी को 3.87% वोट मिले और उसने दो सीटें भी जीतीं.
नहीं बढ़ रहा बीएसपी का वोट शेयर
गौरतलब है कि राजस्थान में मायावती द्वारा कांग्रेस को समर्थन देने की पेशकश के बावजूद, सभी छह बसपा विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए. विश्लेषकों का मानना है कि इन राज्यों में बीएसपी का वोट शेयर पिछले दो दशकों से 4% से 7.5% के बीच बना हुआ है. राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और तेलंगाना में आगामी चुनावों के बाद सरकार में शामिल होने पर फैसला करेंगी. पार्टी का लक्ष्य इन राज्यों में खुद को एक महत्वपूर्ण “शक्ति संतुलन” के रूप में स्थापित करना है.