जी-20 समिट का आयोजन नई दिल्ली में होना है और 9-10 सितंबर को दुनिया के कई देशों के प्रमुख यहां मौजूद होंगे. भारत अभी जी-20 का अध्यक्ष है, उसकी अगुवाई में ही पिछले एक साल में कई बैठकें हुई हैं और अब ये जी-20 शिखर सम्मेलन के साथ खत्म होंगी. एक तरफ चीन और रूस के प्रमुख इस मीटिंग में नहीं आ रहे हैं, तो दूसरी ओर दुनिया के कई देश भारत की अध्यक्षता से गदगद हैं.
एक तरफ ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लीडरशिप को सराहा है, तो वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि वो इस समिट में आने के लिए काफी उत्सुक हैं. भारत में होने वाली जी-20 समिट के लिए कौन क्या कह रहा है, एक नज़र डालिए…
ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक: जी-20 की अध्यक्षता संभालने के लिए भारत सही वक्त पर सही देश उभरकर आया है. मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की तारीफ करता हूं, भारत ने पिछले एक साल में ग्लोबल लीडरशिप का रोल निभाया है. हम भारत के साथ मिलकर दुनिया की परेशानियों को दूर करने और ग्लोबल इकॉनोमी, क्लाइमेट चेंज के विषयों पर काम करेंगे.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन: व्हाइट हाउस ने बयान दिया है कि जो बाइडेन इस समिट के लिए काफी उत्सुक हैं. समिट से पहले जो बाइडेन की पत्नी को कोरोना हुआ था, लेकिन उन्होंने भारत आने की पुष्टि कर दी है. अमेरिका ने चीन के शी जिनपिंग के समिट में ना आने पर बयान दिया और कहा कि वो खुद को स्पॉइलर के तौर पर पेश कर रहा है.
ऑस्ट्रेलिया पीएम अल्बनीज़: ऑस्ट्रेलिया सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया कि ऑस्ट्रेलिया भारत की जी-20 अध्यक्षता का समर्थन करता है और उसके सभी मुद्दों को मानता है, साथ ही अपनी ओर से पूर्ण सहयोग की बात करता है.
चीन और रूस का क्या रुख है?
चीन और रूस ऐसे बड़े देश हैं, जिनके राष्ट्र प्रमुख जी-20 समिट में हिस्सा नहीं लेंगे. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की जगह चीन के प्रीमियर आएंगे, जबकि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की जगह वहां के विदेश मंत्री आएंगे. रूस ने साफ किया है कि वह किसी भी ऐसे साझा बयान पर साइन नहीं करेगा, जिसमें यूक्रेन मसले पर उनके पक्ष को खुलकर सामने नहीं रखा जाएगा. हालांकि, चीन ने अभी तक कोई स्थिति साफ नहीं की है लेकिन अमेरिका ने डर जताया है कि कुछ मुद्दों पर चीन और रूस दोनों ही अड़ंगा डाल सकते हैं.
भारत की अध्यक्षता में जी-20 समिट का आयोजन हो रहा है. 9 और 10 सितंबर को शिखर सम्मेलन होना है, जिसमें दो दर्जन से अधिक देशों के प्रमुख हिस्सा लेंगे. नई दिल्ली को इस समिट के लिए सजाया गया है, कई जगह पाबंदियां लगाई गई हैं. 8 से 10 सितंबर तक दिल्ली में स्कूल, कॉलेज, सरकारी दफ्तर बंद होंगे. इसके अलावा कई ट्रैफिक रूट में बदलाव किए गए हैं और मेट्रो की टाइमिंग भी बदली गई है.