गुवाहाटी: केंद्र और असम सरकार और पूर्वोत्तर राज्य के दिमासा विद्रोही संगठन के प्रतिनिधियों ने गुरुवार को नई दिल्ली में एक त्रिपक्षीय शांति समझौते पर हस्ताक्षर किया. इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे. इसमें दिमासा नेशनल लिबरेशन आर्मी-दिमासा पीपुल्स सुप्रीम काउंसिल (DNLA/DPSC) के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किया गया.
इस दौरान समझौते पर अमित शाह ने कहा कि बात है कि ये खुशी की बात है कि DNLA/DPSC ने हिंसा से दूर रहने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि आज इन समूहों के 168 कार्यकर्ता मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं. यह प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के शांतिपूर्ण और समृद्ध पूर्वोत्तर के दृष्टिकोण में एक बड़ा कदम है.
दिमासा कल्याण परिषद की स्थापना
उन्होंने कहा कि असम सरकार एक दिमासा कल्याण परिषद की स्थापना करेगी और इनके त्वरित और केंद्रित विकास को सुनिश्चित करेगी. शाह ने कहा कि समझौते के तहत, राजनीतिक, आर्थिक और शैक्षिक आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सामाजिक, सांस्कृतिक और भाषाई पहचान की रक्षा, संरक्षण और बढ़ावा देने के लिए सभी जरुरी कदम उठाए जाएंगे. अमित शाह ने कहा कि यह समझौता उत्तरी कछार हिल्स स्वायत्त परिषद (एनसीएचएसी) से सटे अतिरिक्त गांवों को शामिल करने की मांग की जांच करने के लिए संविधान की छठी अनुसूची के अनुच्छेद 14 के तहत एक आयोग की नियुक्ति का भी प्रावधान करता है.
500 करोड़ रुपये का स्पेशल विकास पैकेज
समझौते में DNLA के आत्मसमर्पण करने वाले सशस्त्र कैडरों के पुनर्वास के लिए केंद्र और असम सरकार द्वारा उठाए जाने वाले कदमों का जिक्र है. NCHAC के साथ-साथ राज्य के अन्य हिस्सों में रहने वाले दिमासा लोगों के सर्वांगीण विकास के लिए केंद्र और असम सरकार पांच साल की अवधि में 500 करोड़ रुपये का एक विशेष विकास पैकेज खर्च करेगी.
असम में कोई आदिवासी विद्रोही समूह नहीं
वहीं असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि इस सौदे से दिमासा लोगों और असम के दीमा हसाओ और कार्बी आंगलोंग जिलों के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में शांति स्थापित होगी. DNLA कैडरों ने इस सौदे से पहले 43 हथियार जमा किए और मुख्यधारा में लौटने का संकल्प लिया. अब से आधिकारिक तौर पर असम में कोई आदिवासी विद्रोही समूह नहीं बचेगा.