झारखंड सरकार के गुटखा बिक्री पर पूरी तरह प्रतिबंध के दावे को गलत साबित करते हुए झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने इस मामले पर शुक्रवार को सुनवाई के दौरान बाजार से कुछ ही मिनट के भीतर कई ब्रांड के गुटखे मंगवाकर राज्य सरकार के शपथ पत्र पर नाराजगी जताई.
न्यायाधीश डॉ. रविरंजन एवं न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंड पीठ ने की सुनवाई
एक गैर सरकारी संगठन द्वारा न्यायालय में इस मामले में दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश डॉ. रविरंजन एवं न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंड पीठ ने खाद्य आपूर्ति विभाग के विशेष सचिव से पूछा कि प्रतिबंध के बावजूद अधिकतर स्थानों पर गुटखा क्यों मिल रहा है, तो अधिकारी ने कहा कि गुटखे पर पूरी तरह प्रतिबंध है, इसकी बिक्री कहीं नहीं हो रही है, शपथपत्र में भी इसका उल्लेख किया गया है.
इस पर मुख्य न्यायाधीश ने आश्चर्य जताया और न्यायालय के एक कर्मचारी को बाजार भेज कर गुटखा लाने को कहा और आश्चर्यजनक रूप से दस मिनट के भीतर कर्मचारी ने पांच-छह ब्रांड के गुटखे लाकर न्यायाधीश के समक्ष रख दिये. इसके बाद पीठ ने विभाग के विशेष सचिव चंद्रकिशोर ओरांव से पूछा, यह कैसा प्रतिबंध है, स्वयं देख लीजिए कि जो सरकार ने प्रतिबंधित कर रखा है वह सब कुछ सुलभ है. इस पर विशेष सचिव ने न्यायालय को आश्वस्त किया कि इस मामले की जांच कर अविलंब कार्रवाई की जाएगी.
न्यायालय ने इस मामले में नाराजगी व्यक्त किया
न्यायालय ने इस मामले में नाराजगी जताते हुए कहा कि क्या सरकार सिर्फ कागज पर ही काम कर रही है. पीठ ने कहा कि जमीनी हकीकत या तो सरकार जानती नहीं या जान कर आंखें बंद किए हुए है. न्यायालय ने सरकार को सुनवाई की अगली तिथि पर राज्य में गुटखा की बिक्री पूरी तरह बंद होने का शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया. न्यायालय ने कहा कि शपथपत्र में यह स्पष्ट लिखा होना चाहिए कि राज्य में गुटखा की बिक्री अब नहीं हो रही है.
न्यायालय ने सरकार से यह भी बताने को कहा है कि जब 2018 से राज्य में गुटखे पर प्रतिबंध है, तो इसकी बिक्री यहां अभी भी कैसे हो रही है? इस पर रोक लगाने के पूर्व सरकार ने कोई अध्ययन किया था या नहीं? क्या इस बात का रिकॉर्ड सरकार के पास है कि राज्य के बाजारों में गुटखा कहां से पहुंच रहे हैं?
‘फरियाद फाउंडेशन’ नामक संगठन ने उठाया था मामला
‘फरियाद फाउंडेशन’ नामक एक गैर सरकारी संगठन ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर राज्य में प्रतिबंध के बावजूद गुटखे की बिक्री होने का मामला उठाया था. याचिका में दावा किया गया था कि प्रतिबंध के बावजूद राज्य में गुटखे की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है और सरकार कुछ नहीं कर रही है. गुटखे का सेवन करने से राज्य के लोग गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं. संगठन ने राज्य में गुटखे की बिक्री पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाने का आग्रह न्यायालय से किया था.