भारत में हीटवेव का कहर! बड़ी संख्या में मर रहे लोग

भारत में हीटवेव की वजह से लोगों की जान जा रही है और आने वाले समय में इसकी वजह से और लोगों की जान सकती है. हीटवेव कैसे देशवासियों को मार रही है, वह इस रिपोर्ट से आप अंदाजा लगा सकते हैं. स्टडी आईक्यू के मुताबिक, अप्रैल में हीटवेव की वजह से महाराष्ट्र के नवी मुंबई में करीब 12-15 लोगों की मौत हो गई जबकि 90-95 लोगों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा

पिछले साल बहुत सारे न्यूज रिपोर्ट आए थे, जिसमें ये बताया गया था कि हीटवेव की वजह से भारतीयों की जान जा रही है. तो क्या सच में भारत हीटवेव की वजह से मर रहा है. अप्रैल में साउथ और साउथ ईस्ट एशिया ने हीटवेव को अनुभव किया था. फरवरी में ये कहा जा रहा था कि इस बार गर्मी बहुत जल्दी आ गई है. दरअसल फरवरी और अप्रैल में साउथ और साउथ ईस्ट एशिया ने हीटवेव को अनुभव किया था

कुछ स्थानों पर रिकॉर्ड ब्रेकिंग तापमान
कुछ स्थानों पर रिकॉर्ड ब्रेकिंग तापमान दर्ज किया गया था. उत्तर भारत की अगर बात करें तो यहां का तापमान 44 डिग्री सेल्सियस से अधिक दर्ज किया गया था. वहीं अगर थाईलैंड सिटी की बात करें तो वहां का तापमान 45.4 डिग्री सेल्सियस तक रिपोर्ट किया गया था. पिछले साल हीटवेव की वजह से भारत और पाकिस्तान में करीब 90 लोगों की मौत हो गई थी.

वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन (साइंटिस्टों का एक ग्रुप) की रिपोर्ट के मुताबिक, साउथ एशिया और साउथ ईस्ट एशिया में जो हीटवेव की डेनसिटी, फ्रीक्वेंसी 30 फीसदी अधिक हो जाती है. साइंटिस्टों के इस ग्रुप मे कहा कि क्लाइमेट चेंज (जलवायु परिवर्तन) की वजह से इस प्रकार की घटना में बढ़ोतरी देखी जाती है.

2015 में हीटवेव से 2081 लोगों की मौत
भारत में 2011 से 2021 तक के डेटा को अगर देखें तो, 2011 में 40 दिन हीटवेव डेज रिपोर्ट किए गए थे. इस साल 12 लोगों की जान गई थी. वहीं, 2015 में हीटवेव के कारण सबसे अधिक 2081 लोगों की मौत हुई थी. इस साल 86 दिनों तक हीटवेव की स्थिति रही थी. 2021 में हीटवेव की वजह से 36 लोगों की मौत हो गई थी. ये आंकड़े बताते हैं कि हीटवेव अपने आप में एक्सट्रीम वेदर बन चुका है, जिसके बारे में हमें कुछ करने की आवश्यकता है.

हीटवेव क्या है ?
हीटवेव को अगर आसना भाषा में समझने की कोशिश करें तो किसी क्षेत्र का तापमान उस इलाके के नॉर्मल तापमान से अधिक हो जाता है और यह स्थिति लगातार दो दिनों तक रहती है तो उसे हीटवेव कहा जाता है. जब मैक्सिमम टेंपेरचर 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक और सामान्य से 4.5 डिग्री अधिक होता है, तब हीटवेव शुरू होती है. भारत में अगर पारा 40 से ऊपर और सामान्य से 6.5 डिग्री अधिक होता है, तो आईएमडी इसे हीटवेव घोषित करती है.

भारतीय अर्थव्यवस्था पर हीटवेव का प्रभाव
हीटवेव की वजह से 2021 में भारत में 159 बिलियन डॉलर इंकम लॉस हुई है. क्लाइमेट ट्रांसपैरेंसी की रिपोर्ट ने 2022 में यह जानकारी दी. अगर देखा जाए तो भारत की ज्यादातर आबादी लेबर, कंस्ट्रक्शन, मैन्युफैक्चरिंग, एग्रीकल्चर सेक्टर्स में ज्यादा काम करती है, जो दरअसल हीट एक्सपोज्ड काम है. अगर आप ज्यादा हीट में काम करते हैं तो प्रोडक्टिविटी डिक्लाइन होती है.

2030 तक हालात हो सकते हैं और खराब
भारत में हीटवेव की यही स्थिति रही तो 2030 तक हालात और खराब हो सकते हैं. भारत की जो जीडीपी (GDP) है, उसका 40 प्रतिशत डिपेंडेंसी हीट एक्सपोज्ड वर्क पर है और अगर उस वर्क की प्रोडक्टिविटी डिक्लाइन होती है तो भारत की उस 40 फीसदी जीडीपी पर एकदम सीधा असर देखने को मिलेगा.

हीटवेव का GDP पर असर
रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि 2030 तक भारत में जो 80 मिलियन जॉब है, उसमें से 34 मिलियन जॉब प्रोडक्टिविटी डिक्लाइन के कारण लॉस हो जाएगा. भारत में महंगाई बहुत बड़ी समस्या है. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हॉर्टिकल्चर रिसर्च का कहना है कि बढ़ती हुई गर्मी की वजह से फल और सब्जियों में 10 से 30 फीसदी तक का क्रॉप लॉस देखने को मिलेगा. हीटवेव की वजह से कृषि, उर्जा, जैसे सेक्टर्स पर भी प्रभाव पड़ेगा.

2022 सबसे अधिक गर्म साल
1901 के बाद से भारत में 2022 पांचवां सबसे अधिक गर्म साल रहा. इस साल एनुअल मिनिमन टेंपरेचर से 0.71 टेंपरेचर ज्यादा था. 2022 में हीटवेव की वजह से बिहार में सबसे अधिक लोगों (418) की मौत हुई थी. इसके बाद असम में 257 लोगों की जान गई थी.

तीसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश था, जहां हीटवेव के कारण 201 लोगों की मौत हुई थी. रिपोर्ट में बताया गया है कि 2013 से हीटवेव डेज में लगातार वृद्धि देखने को मिली है. 2013 में 100 हीटवेव डेज थे, जो 2022 में बढ़कर 190 हो गए.

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