योग गुरु बाबा रामदेव (Baba Ramdev) की कंपनी रुचि सोया इंडस्ट्रीज (Ruchi Soya Industries) दिसंबर तिमाही में अच्छा मुनाफा कमाया है. रुचि सोया (Ruchi Soya) का नेट प्रॉफिट चालू वित्त वर्ष की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में 227.44 करोड़ रुपए रहा. कंपनी को इससे पूर्व वित्त वर्ष 2019-20 की इसी तिमाही में 7,617.43 करोड़ रुपए का नेट प्रॉफिट हुआ था. इसका कारण कंपनी को हुआ 7,466.06 करोड़ रुपए का एक असाधारण प्रॉफिट था.
अगर उस प्रॉफिट को अलग कर दिया जाए तो चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में नेट प्रॉफिट 50 फीसदी अधिक है. कंपनी ने शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि उसकी कुल आय अलोच्य तिमाही में 4,475.6 करोड़ रुपए रही जो एक साल पहले 2019-20 की तीसरी तिमाही में 3,725.66 करोड़ रुपए थी.
4350 करोड़ में किया था Ruchi Soya का अधिग्रहण
वर्ष 2019 में बाबा रामदेव की अगुवाई में पतंजलि आयुर्वेद ने इनसॉल्वेंसी प्रक्रिया में रुचि सोया का अधिग्रहण किया था. साल 2017 में रुचि सोया के दिवालिया होने की प्रक्रिया शुरू की गयी थी और इसी के तहत साल 2019 इसे बेचा गया था. रामदेव के पतंजलि आयुर्वेद (Patanjali Ayurved) ने रुचि सोया को 4350 करोड़ रुपए में अधिग्रहण कर लिया था.
रुचि सोया के पास खाद्य ब्रांड रुचि गोल्ड (Ruchi Gold), Mahakosh, न्यूट्रिला (Nutrela) और रुचि स्टार (Ruchi Star) का स्वामित्व है.
रुचि सोया के बोर्ड में रामदेव के भाई शामिल
रामदेव और उनके छोटे भाई राम भरत तथा नजदीकी सहयोगी आचार्य बालकृष्ण रुचि सोया के निदेशक मंडल में शामिल हुए. कंपनी के निदेशक मंडल की 19 अगस्त, 2020 को हुई बैठक में राम भरत को उसी दिन से 17 दिसंबर, 2022 तक के लिए प्रबंध निदेशक नियुक्त किया गया था. भरत को सालाना एक रुपये का वेतन दिया जाएगा.
इस साल आएगा रुचि सोया का एफपीओ
खाद्य तेल बनाने वाली कंपनी रुचि सोया इस साल अपना एफपीओ पेश करेगी. एफपीओ के जरिए रुचि सोया में प्रमोटरों की हिस्सेदारी में कमी लाई जाएगी. अभी रुचि सोया में प्रमोटरों की हिस्सेदारी 98.90 फीसदी है, जबकि शेष 1.10 फीसदी हिस्सेदारी सार्वजनिक शेयरधारकों के पास है.
लिस्टेड कंपनी होने के नाते प्रमोटरों को रुचि सोया में अपनी हिस्सेदारी घटानी होगी. शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनी में न्यूनतम 25 फीसदी पब्लिक शेयरहोल्डिंग जरूरी है. इसका मतलब है कि कंपनी के 25 फीसदी शेयर आम निवेशकों के पास होने चाहिए. कंपनी के प्रवर्तकों को जून 2021 तक अपनी 10 फीसदी हिस्सेदारी कम करनी होगी.