नई दिल्ली: बिहार के 18 जिलों के भूजल में आर्सेनिक की मात्रा अधिक होने की वजह से इन जिलों में रहने वाले लोगों कि चिंताएं बढ़ा दी हैं. जानकारों के अनुसार भूमिगत जल में आर्सेनिक की मात्रा अधिक होने की वजह से लोगों में पित्ताशय के कैंसर संभावना कई गुणा बढ़ जाती है.बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष अशोक कुमार घोष ने शुक्रवार को भाषा को बताया कि विशेषज्ञों द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन में पाया गया है कि 38 जिलों में से 18 जिलों ने भूजल में आर्सेनिक की अधिक मात्रा पाए जाने की सूचना दी है. इन जिलों के लोग विश्व स्वास्थ्य संगठन की 10 माइक्रोग्राम प्रति लीटर की स्वीकार्य सीमा से अधिक आर्सेनिक वाला पानी पी रहे हैं. जिन जिलों के भूमिगत जल में आर्सेनिक की मात्रा सबसे ज्यादा है उनमें खास तौर पर बक्सर, भोजपुर और भागलपुर शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि इन तीनों जिलों में भी अगर बात करें तो भूजल में सबसे अधिक आर्सेनिक की मात्रा (1906 माइक्रोग्राम प्रति लीटर) बक्सर जिले में है. घोष ने आगे कहा कि अब अध्ययन में पित्ताशय की थैली के कैंसर के संभावित जोखिम कारक के रूप में आर्सेनिक की उच्च सांद्रता सामने आई है. यह अनिवार्य है कि बिहार और असम के स्थानिक क्षेत्रों में भी पीने के पानी से आर्सेनिक को हटाने के रूप में सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप समय की मांग है.
बता दें कि‘आर्सेनिक प्रदूषण’ से निपटने से कई स्वास्थ्य समस्याओं के बोझ को कम करने में मदद मिल सकती है. विशेषज्ञों ने निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले 18 जिलों के विभिन्न क्षेत्रों से एकत्र किए गए 46,000 भूजल नमूनों का विश्लेषण किया. आर्सेनिक दूषितकरण से गंभीर रूप से प्रभावित बिहार के जिलों में बक्सर, भोजपुर, भागलपुर, सारण, वैशाली, पटना, समस्तीपुर, खगड़िया, बेगूसराय, मुंगेर आदि शामिल हैं जो कि गंगा नदी के तट के करीब स्थित हैं.