नयी दिल्ली: भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एक अध्ययन में कहा गया है कि कोरोना वायरस उच्च अनुपात में गर्भवती महिलाओं को संक्रमित कर सकता है और इसके कारण उन्हें मध्यम से गंभीर बीमारी हो सकती है. अध्ययन में ऐसी महिलाओं को तत्काल चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराए जाने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है.
‘इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च’ में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, गर्भावस्था में सबसे आम जटिलता समय से पहले प्रसव और उच्च रक्तचाप जैसे विकार रहे. अध्ययन में कहा गया है कि एनीमिया, तपेदिक और मधुमेह जैसी अन्य बीमारियां भी गर्भवती और बच्चे को जन्म दे चुकी कोरोना वायरस से संक्रमित महिलाओं में मौत के बढ़ते जोखिम का कारण बनीं
एकत्र किए 4,203 गर्भवती महिलाओं के आंकड़ों का विश्लेषण
अध्ध्यन के दौरान महाराष्ट्र में महामारी की पहली लहर के दौरान कोविड-19 से पीड़ित महिलाओं की नैदानिक विशेषताओं और गर्भावस्था के परिणामों का विश्लेषण किया. यह विश्लेषण ‘प्रेग्कोविड रजिस्ट्री’ के आंकड़ों पर आधारित था जोकि कोविड-19 से उबरने वाली गर्भवती महिलाओं और प्रसव के बाद वाली महिलाओं पर आधारित अध्ययन है.
‘प्रेग्कोविड रजिस्ट्री’ के तहत महाराष्ट्र के 19 मेडिकल कॉलेजों में कोरोना वायरस से संक्रमित गर्भवती एवं प्रसवोत्तर महिलाओं की जानकारी एकत्र की गई. महामारी की पहली लहर (मार्च 2020-जनवरी 2021) के दौरान एकत्र किए गए 4,203 गर्भवती महिलाओं के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया.
534 महिलाओं में कोविड-19 बीमारी के लक्षण दिखे
अध्ययन में पाया गया कि 3213 शिशुओं का जन्म हुआ जबकि गर्भपात के 77 मामले आए. प्रसव का इंतजार और गर्भ गिरने के मामलों का अनुपात छह फीसदी रहा. इसी तरह, 534 महिलाओं (13 फीसदी) में कोविड-19 बीमारी के लक्षण दिखे, जिनमें से 382 महिलाएं (72 फीसदी) को हल्का संक्रमण, 112 महिलाओं (21 फीसदी) को मध्यम संक्रमण जबकि 40 महिलाओं को गंभीर बीमारी का सामना करना पड़ा.
अध्ययन के निष्कर्ष में कहा गया कि सबसे आम जटिलता समय पूर्व प्रसव की रही जोकि 528 (16.3 फीसदी) दर्ज की गई जबकि 158 गर्भवती एवं प्रसवोत्तर महिलाओं को (3.8 फीसदी) गहन चिकित्सा देखभाल की जरूरत पड़ी जिनमें से 152 महिलाओं को कोविड-19 संबंधी जटिलताओं के कारण गहन देखभाल की आवश्यकता पड़ी.