कर्नाटक:-वैवाहिक विवाद के एक मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें एक शख्स ने अपनी पत्नी से मेंटीनेंस की मांग की थी। कोर्ट का कहना था कि याचिका डालने वाले शख्स हट्टा कट्टा है। अगर उसे मुआवजा दिया जाता है तो वो निठल्ला हो जाएगा। अदालत ने उसकी याचिका को खारिज करते हुए कहा कि ये फैसला उस शख्स की बेहतरी के लिए लिया गया है।
हाईकोर्ट एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इसमें फैमिली कोर्ट के एक फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें पत्नी को 10 हजार महीने के मेंटीनेंस के साथ कानूनी खर्च के तौर पर 25 हजार की रकम मंजूर की गई थी। इसके साथ ही कोर्ट ने पति की वो याचिका भी खारिज कर दी जिसमें उसने दो लाख रुपये मेंटीनेंस के साथ कानूनी खर्च के तौर पर 30 हजार रुपये की मांग की थी।
पति का कहना था कि कोविड की वजह से उसकी नौकरी चली गई। उसके बाद कोई काम नहीं मिल पा रहा है। उसकी दलील थी कि फैमिली कोर्ट ने जो फैसला दिया है उसे खारिज करते हुए पत्नी को आदेश दिया जाए कि वो हर माह उसे गुजारा भत्ता दे। जस्टिस एम नागप्रसन्ना की सिंगल बेंच ने कहा कि अगर शख्स को उसकी पत्नी से मुआवजा दिलवा भी दिया जाता है तो उसके भविष्य के लिए ये ठीक नहीं होगा। अदालत का कहना था कि न तो शख्स विकलांग है और न ही वो ऐसी हालत में है जिसमें वो अपने लिए कोई काम की तलाश न कर सके।
शख्स ने अपनी अपील में कहा था कि उसकी पत्नी का घर साधन संपन्न है। उसने उसके साथ परिवार वालों पर भी कई केस दायर कर रखे हैं। लिहाजा कानूनी लड़ाई के लिए उसे खर्च चाहिए। वो पिछले दो सालों से काम की तलाश कर रहा है लेकिन नौकरी नहीं मिल पा रही है। कोर्ट का कहना था कि उसकी याचिका बेहद बचकाना है। उसे एक महिला से अपने खर्च के लिए पैसा चाहिए। ये बात गले से नीचे नहीं उतरती।