आयोग ने कहा है ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां बाल अधिकारों का हनन कर रही हैं. ऐसे में उनसे कई तरह के सवाल किए गए हैं. बच्चों के बाल अधिकार हनन को रोकने के लिए उनकी ओर से क्या कार्रवाई चल रही है?
इंटरनेट के प्रसार के साथ ही कई साइट्स में बढ़ोतरी देखी जा रही है. इनमें कुछ साइट ऐसी भी हैं जो बच्चों के लिए खतरनाक हैं. इनमें ऑनलाइन गेमिंग साइट को ज्यादा खतरनाक माना जा रहा है. रिपोर्ट की मानें तो ऑनलाइन गेमिंग साइट बच्चों में जुआ, सट्टेबाजी और शोषण की प्रवृत्ति को बढ़ावा दे रही हैं.
यह चौंकाने वाली जानकारी इसलिए सामने आई है कि क्योंकि कई बच्चों के अभिभावकों ने इसकी शिकायत राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) से की है. इन शिकायतों के आधार पर एनसीपीसीआर ने ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को नोटिस जारी किया है. माई टीम 11, ड्रीम 11, प्ले गेम 24 इनटू 7 जैसी कंपनियों से एनसीपीसीआर ने जवाब मांगा है. शिकायतों में कहा गया है कि कोरोना के बीच बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई के लिए मोबाइल या कंप्यूटर का सहारा ले रहे हैं. पढ़ाई के साथ बच्चे ऑनलाइन गेमिंग में भी दिलचस्पी ले रहे हैं. इसका असर यह हो रहा है कि वे गेम के नाम पर सट्टेबाजी और जुआ जैसी बुरी लत का शिकार हो रहे हैं.
गेम के नाम पर जुआ और सट्टेबाजी
दरअसल कुछ अभिभावकों ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग से शिकायत कर कहा था कि कई ऑनलाइन गेमिंग साइट्स बच्चों में जुआ, सट्टेबाजी और शोषण को बढ़ावा दे रही हैं. एक अभिभावक ने शिकायत में कहा था कि उनके बच्चे ने 50 हजार रुपये ऑनलाइन जुआ खेल डाला. इन शिकायतों को बेहद गंभीरता से लेते हुए आयोग के चेयरमैन प्रियंक कानूनगो के निर्देश पर सभी कंपनियों को नोटिस भेजा गया है.
नोटिस में आयोग ने कहा है ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां बाल अधिकारों का हनन कर रही हैं. ऐसे में उनसे कई तरह के सवाल किए गए हैं. बच्चों के बाल अधिकार हनन को रोकने के लिए उनकी ओर से क्या कार्रवाई चल रही है? कंपनियों से यह भी पूछा गया है कि बच्चों को भ्रमित होने से रोकने के लिए उनकी ओर से क्या तैयारियां की गई हैं? आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा कि भोलेभाले बच्चे ऑनलाइन कंपनियों के फरेब में आकर अपने मां-बाप के पैसे खर्च कर दे रहे हैं. पूरी तरह से यह आपराधिक मामला है. इस मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुए सभी कंपनियों से 10 दिन के अंदर जवाब तलब किया गया है.
सट्टेबाजी पर बैन लेकिन ऑनलाइन में छूट
बच्चों के साथ अब बड़े भी गेम साइट्स के चक्कर में पड़ रहे हैं. कमाने की लत उन्हें परेशान किए रहती है. कोरोना और लॉकडाउन के दौरान जब कोई काम धंधा नहीं बचा तो लोगों ने गेमिंग के नाम पर पैसा बनाना शुरू कर दिया. एक छोटी रकम के साथ एंट्री पाकर लोगों ने अच्छा-खासा पैसा कमाया. इसमें क्रिकेट, फुटबॉल से लेकर एनबीए भी शामिल है. ऐसे गेम्स को फैंटसी गेम का नाम दिया गया. इन गेम्स में बड़ी मात्रा में सट्टेबाजी लगाने का मौका मिलता है और लोग अच्छी रकम जीत भी लेते हैं. लेकिन सट्टेबाजी आम जन जीवन में प्रतिबंधित है, इसलिए लोग ऑनलाइन की दुनिया में इसका भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं.
मोबाइल गेम की एक अलग दुनिया
मोबाइल गेम की दुनिया दिनोंदिन बढ़ रही है, इसलिए इसका दायरा भी तेजी से बढ़ता जा रहा है. मिस्ट्री-पार्टी-एक्शन गेम ‘अमॉन्ग अस’ एक ऐसा मोबाइल गेम है, जिसे साल 2020 में एंड्रॉयड और आईओएस एप स्टोर दोनों में ही सबसे अधिक डाउनलोड किया गया है. इसने पबजी मोबाइल और रोबलोक्स जैसे गेम्स को भी पछाड़ दिया है. एपटोपिया की ओर से जारी किए गए आंकड़े के मुताबिक, अमंग अस को दुनियाभर में 26.4 करोड़ लोगों ने डाउनलोड किया है, जबकि अमेरिका में इसे 4.1 करोड़ यूजर्स द्वारा डाउनलोड किया गया है.
17.5 करोड़ डाउनलोड के साथ पबजी (भारत में प्रतिबंधित) चौथे स्थान पर विराजमान है, जबकि 22.7 करोड़ डाउनलोड के साथ सबवे सरफेस दूसरे और 21.8 करोड़ डाउनलोड के साथ गरेना फ्री फायर साल के शीर्ष दस गेमों में तीसरे स्थान पर अपनी जगह बनाने में कामयाब रहा है. ऑनलाइन गेमों में अमॉन्ग अस खेलने वालों की संख्या एक से अधिक है. इसमें स्पेशशिप में क्रू मेंबर्स साथ में मिलकर अपने टास्क को पूरा करते हैं और खुद को अच्छा दिखाने वाले ढोंगियों की पहचान कर उन्हें मार गिराते हैं.