गुजरात की बीजेपी शासित विजय रूपाणी सरकार ने फिलहाल राज्य में धर्मांतरण (anti conversion) कानून लागू न करने का फैसला किया है. सरकार ने यह निर्णय कानून के जानकारों जिसमें राज्य के महाधिवक्ता भी शामिल थे, से विचार विमर्श के बाद किया है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 1 मार्च से शुरू होने जा रहे विधानसभा के बजट सत्र में रूपाणी सरकार धर्मांतरण कानून बिल पेश नहीं करेगी.
इससे पहले उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे बीजेपी शासित राज्य ‘लव जिहाद’ को रोकने के लिए धर्मांतरण कानून बना चुके हैं. इसके बाद ही गुजरात सरकार ने भी धर्मांतरण कानून लाने की प्रतिबद्धता जाहिर की थी. बावजूद इसके कि गुजरात में पहले से ही एक धर्मांतरण-विरोधी कानून है जो बलपूर्वक-खरीद या धोखाधड़ी के माध्यम से एक धर्म से दूसरे धर्म में धर्मांतरण पर प्रतिबंध लगाता है.
सरकार ने कई विभागों को दिए थे कानून बनाने के निर्देश
सरकार ने गृह, कानून, विधायी और संसदीय मामलों से संबंधित विभागों को कानूनी रूप से ‘लव जिहाद’ के खिलाफ कानून बनाने का निर्देश दिया था, जो उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार द्वारा लागू किए गए हैं.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार ने अपने इस फैसले से पहले संबंधित विभागों गृह, कानून, और विधायी और संसदीय मामलों को निर्देशित किया था कि वे यूपी और एमपी राज्य सरकारों द्वारा लागू कानून को देखें और राज्य में लागू मौजूदा कानून में संशोधन की आवश्यकता को बताएं.
वहीं डिप्टी सीएम नितिन पटेल ने इस बारे में कहा कि “गुजरात सरकार ने विभिन्न संगठनों और लोगों से कई आवेदन प्राप्त किए हैं. हम यूपी और एमपी द्वारा बनाए गए कानूनों की प्रभावशीलता, दीर्घकालिक प्रभावों और कानूनी स्थिति का अध्ययन कर रहे हैं. गुजरात सरकार इस बारे में उचित समय पर निर्णय लेगी.
गुजरात के मौजूदा कानून फ्रीडम ऑफ रिलिजन एक्ट 2003 (Gujarat Freedom of Religion Act 2003) में प्रेम या विवाह के बहाने जबरन धर्म परिवर्तन करने पर दंडित करने का प्रावधान है.
गुजरात फ्रीडम ऑफ रिलिजन एक्ट 2003 का उद्देश्य जबरन धर्मांतरण को रोकना है. इस कानून के तहत कोई भी व्यक्ति सीधे तौर पर किसी भी धर्म के व्यक्ति को बल के उपयोग से या किसी भी धोखाधड़ी के माध्यम से धर्म बदले के लिए मजबूर नहीं कर सकता है. न ही कोई व्यक्ति अपनी मर्जी से धर्मांतरण कर सकता है.