नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच सीमा विवाद पर बातचीत को अब एक साल हो गया है. बीते साल मई के महीने में पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद का मुद्दा सुलझाने के लिए दोनों देशों ने बातचीत शुरू की थी, लेकिन अब तक कोई नतीजा नहीं निकला है. एक साल में भारत-चीन के बीच कूटनीतिज्ञों और सैन्य अधिकारियों के बीच 11 दौर की बातचीत हुई.
9 अप्रैल को 11वीं कमांडर लेवल की मीटिंग एलएसी पर पूर्वी लद्दाख के चुशूल बीपीएम-हट में करीब 13 घंटे चली थी. दोनों पक्षों ने पूर्वी लद्दाख में LAC पर डिसइंगेजमेंट से संबंधित शेष बचे मुद्दों के समाधान के लिए विस्तृत विचार-विमर्श किया था. बैठक के बाद रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा था कि दोनों देश संयुक्त रूप से जमीन पर स्थिरता बनाए रखने, किसी भी नई घटनाओं से बचने और संयुक्त रूप से सीमा क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के लिए सहमत हुए हैं.
कुछ इलाकों को लेकर अभी भी विवाद जारी
इसी साल 24 जनवरी को 9वें दौरे की मीटिंग के बाद भारत-चीन दोनों देशों ने पैंगोंग त्सो लेक से सटे इलाकों से डिसइंगेजमेंट कर लिया है. लेकिन अभी भी कुछ विवादित इलाकों में डिसइंगेजमेंट के साथ-साथ पूरी तरह से डि-एस्कलेशन होना बाकी है. इसी मुद्दे पर दोनों देशों के सैन्य कमांडर्स ने बातचीत चल रही है.
11वें दौर की मीटिंग का एजेंडा डिसइंगेजमेंट और डि-एस्कलेशन था यानि दोनों देशों के सैनिक एलएसी से पीछे हट जाएं और सैनिकों की तादाद भी कम कर दी जाए. ये डिसइंगेजमेंट गोगरा, हॉट-स्प्रिंग, डेपसांग प्लेन्स और डेमोचक जैसे विवादित इलाकों में किया जाना है. एक अनुमान के मुताबिक, पूर्वी लद्दाख से सटी 826 किलोमीटर लंबी एलएसी यानि लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल पर दोनों देशों ने करीब एक-एक लाख सैनिकों को अभी भी तैनात किया हुआ है.
सीमा पर अब तक का सबसे गंभीर तनाव
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल कुछ सैनिकों की वापसी के बावजूद चीन-भारत के बीच तनाव बना हुआ है. विवादित सीमा क्षेत्रों में मई 2020 से चीनी सेना की मौजूदगी, दशकों में अब तक की सबसे गंभीर तनावपूर्ण स्थिति है और इसके चलते 1975 के बाद से दोनों देशों के बीच सीमा पर पहली जानलेवा झड़प हुई. फरवरी तक कई दौर की बातचीत के बाद दोनों देशों ने विवादित सीमा के कुछ इलाकों से सेनाओं और सैन्य उपकरणों को हटाया है.
एक साल से चल रहा है गतिरोध
एलएसी पर एशिया की दो महाशक्तियों के बीच टकराव को पूरा एक साल हो गया है. पिछले साल यानि 5-6 अप्रैल 2020 को ही एलएसी के पैंगोंग-त्सो झील से सटे फिंगर एरिया में दोनों देशों के बीच पहली बार झड़प हुई थी. उसके बाद 15-16 जून को गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई खूनी झड़प में भारत के 20 जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे.