देश की अदालतों में 5 करोड़ से ज्यादा केस अभी लंबित है. कानून मंत्रालय ने राज्यसभा में ये जानकारी दी. एक लिखित जवाब में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बताया कि इंटीग्रेटेड केस मैनेजमेंट सिस्टम के आंकड़ों के मुताबिक, 1 जुलाई तक सुप्रीम कोर्ट में 69,766 केस लंबित थे. वहीं, नेशनल ज्यूडिशियल डाटा ग्रीड के आंकड़ों के मुताबिक, 14 जुलाई तक हाईकोर्ट में 60,62,953 और जिला अदालतों व निचली अदालतों में 4,41,35,357 केस पेंडिंग थे. ऐसे में कुल मिलाकर 5,02,68,076 केस अभी अदालतों में लंबित हैं.
कानून मंत्री ने कहा कि अदालतों में केस के पेंडिंग होने के कई कारण हैं, जैसे जजों की संख्या, सपोर्ट स्टाफ, सबूत, इंवेस्टिगेशन एजेंसियां, गवाह आदि. इसके अलावा भी और कई कारण हैं, जिसकी वजह से इतने मामले में लंबित हैं. उन्होंने कहा लंबित मामले को निपटाने की प्रक्रिया में सरकार की कोई भूमिका नहीं है. इन उपरोक्त कारणों के चलते मामलों के निपटान में देरी होती है.
अर्जुन राम मेघवाल ने जजों की नियुक्ति को लेकर कहा कि केंद्र सरकार ने 01.05.2014 से 10.07.2023 तक सुप्रीम कोर्ट में 56 जजों की नियुक्ति की है. इसके अलावा उच्च न्यायालयों में 919 नए जज और 653 एडिशनल जजों की नियुक्ति की गई है. उन्होंने कहा कि अगर हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति की बात की जाए तो 2014 में उच्च न्यायालयों मे 906 जज थे और अभी 1114 जज हैं.
हंगामे की भेंट चढ़ा मानसून सत्र का पहला दिन
बता दें कि शुक्रवार से संसद का मानसून सत्र शुरू हुआ. पहले दिन का सत्र बिना किसी कामकाज के हंगामे की भेंट चढ़ गया. संसद में मणिपुर हिंसा पर जबरदस्त हंगामा हुआ. सत्र शुरू होने के कुछ ही देर बाद दोनों सदनों की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई. इसके बाद जब दो बजे कार्यवाही शुरू हुई तो विपक्षी दलों ने सरकार पर जमकर निशाना साधा. संसद में नारेबाजी होने लगी. इसके बाद फिर से दोनों सदनों को स्थागित कर दिया गया.