नई दिल्ली. देश की आजादी के बाद एक बार फिर मथुरा जेल में किसी महिला को फांसी देने की तैयारियां चल रही हैं. आजादी के बाद शबनम देश की पहली महिला होगी, जिसे फांसी दी जाएगी. फांसी की तारीख तय होना बाकी है. मेरठ का पुश्तैनी जल्लाद पवन भी फांसी घर का मुआयना कर चुका है. फांसी के फंदे के लिए विशेष रस्सी मनीला से मंगाई गई है, जबकि फंदा बक्सर में तैयार हो रहा है.
दरअसल, उत्तर प्रदेश के अमरोहा जनपद के हसनपुर कोतवाली इलाके के गांव बावनखेड़ी निवासी शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर 14-15 अप्रैल 2008 की रात को अपने ही घर में खूनी खेल खेला था. उसने अपने माता-पिता, दो भाई, एक भाभी, मौसी की लड़की और मासूम भतीजे को मार दिया था. जिस भाभी को शबनम ने मारा था, वह भी गर्भवती थी. सर्वोच्च न्यायालय से बहाल की गई फांसी की सजा के बाद राष्ट्रपति ने भी उसकी दया याचिका को ठुकरा दिया है.
शबनम की उम्र करीब 38 वर्ष है. उसका एक 12 वर्ष का बेटा भी है जिसे उसने जेल में जन्म दिया था. हत्या के आरोप में गिरफ्तारी के वक्त शबनम गर्भवती थी. सात साल उसका बेटा जेल में ही पला. अब वह एक व्यक्ति की देखरेख में है. रामपुर की जेल में बंद शबनम को फांसी के लिए यहां लाया जाना है. हालांकि अभी उसकी फांसी की तारीख तय नहीं हुई है. उसके लिए जेल प्रशासन फांसी घर को तैयार करने में लगा हुआ है.
बता दें, फांसी देने से पहले व्यक्ति की आखिरी इच्छा पूछी जाती है. परिवार वालों से मिलना, अच्छा खाना या अन्य इच्छाएं इसमें शामिल होती हैं. जिस अपराधी को फांसी दी जाती है, उसके आखिरी वक्त में जल्लाद ही उसके साथ होता है. फांसी देने से पहले जल्लाद अपराधी के कानों में कुछ बोलता है जिसके बाद वह चबूतरे से जुड़ा लीवर खींच देता हैं.
फांसी देने के कुछ देर पहले वह अपराधी के कान में कहता है, “मुझे माफ कर देना, मैं तो एक सरकारी कर्मचारी हूं. कानून के हाथों मजबूर हूं.” इसके बाद अगर मुजरिम हिंदू है तो वह उसे राम-राम बोलता है. वहीं अगर मुस्लिम है तो वह उसे आखिरी दफा सलाम करता है.