जानें क्यों सुर्खियों में हिन्दुस्तान समाचार? जानिए RSS से इसका लिंक….

सार्वजनिक प्रसारक प्रसार भारती ने दूरदर्शन और आकाशवाणी (AIR) के लिए समाचार फ़ीड की आपूर्ति के लिए RSS से जुड़ी वायर सर्विस हिंदुस्थान समाचार (HS) के साथ दो साल के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। प्रसार भारती ने 2020 में भारतीय समाचार पत्रों के गैर-लाभकारी सहकारी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) की अपनी सदस्यता रद्द कर दी थी।
हिंदुस्थान की स्थापना 1948 में शिवराम शंकर आप्टे उर्फ ​​​​दादासाहेब आप्टे ने की थी। गुजरात के बड़ौदा में पैदा हुए एक पत्रकार आप्टे का आरएसएस के साथ आजीवन जुड़ाव था, और 1964 में विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के संस्थापक महासचिव बने।
हिंदुस्थान समाचार को 1956 में एक सहकारी समिति के रूप में पंजीकृत किया गया था। 1975 में आपातकाल की घोषणा के तुरंत बाद इंदिरा गांधी की सरकार ने उस समय की चार समाचार एजेंसियों – पीटीआई, यूनाइटेड न्यूज ऑफ इंडिया (यूएनआई), हिंदुस्तान समाचार, और समाचार भारती का विलय एक समाचार एजेंसी में कर दिया था।

1977 के चुनावों के बाद सत्ता में आई जनता पार्टी सरकार ने इस फैसले को पलट दिया, लेकिन इंदिरा की सरकार ने 1983 में फिर से इसको निशाना बनाया। मध्य प्रदेश के एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सुभाष यादव, जो बाद में राज्य के उपमुख्यमंत्री बने, उनको रिसीवर नियुक्त किया गया।

हिंदुस्थान समाचार ने सरकार के फैसले को चुनौती दी और 1999 में दिल्ली उच्च न्यायालय में मुकदमा जीता।इसके बाद आरएसएस के वरिष्ठ नेता श्रीकांत जोशी ने एजेंसी को पुनर्जीवित करने के प्रयास किए और इसे फिर से शुरू किया।

यह केवल एक वार्षिक अनुबंध का नवीनीकरण है जो फरवरी 2020 से हिंदुस्थान का प्रसार के साथ है। प्रसार के सीईओ गौरव द्विवेदी ने रविवार को द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “हिंदुस्थान समाचार के साथ हमारा एक पूर्व अनुबंध था, जिसे इस महीने नवीनीकृत किया गया।”

प्रसार 2017 से परीक्षण के आधार पर हिंदुस्थान से फ़ीड ले रहा था, जबकि एक अनुबंध के लिए बातचीत जारी थी। सूत्रों के मुताबिक सरकार को 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान अहसास हुआ कि एचएस अंग्रेजी या हिंदी में मूल सामग्री प्राप्त करने के बाद थोड़े समय के भीतर कई भाषाओं में समाचार सामग्री जारी करने में सक्षम था।

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