नई दिल्ली: कोरोना की दूसरी लहर ने देश के सैकड़ों बच्चों को अनाथ कर दिया. अजीविका कमाने वाले सदस्य की मृत्यु के बाद ऐसे परिवारों के बच्चों की शिक्षा पर संकट के बादल छा गए थे. लेकिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के प्रयासें से अब ऐसे बच्चों का सुनहरा भविष्य कोटा में गढ़ा जा रहा है. श्री बिरला के आव्हान पर कोटा में डेढ़ सौ से अधिक बच्चों को एलेन कॅरियर इंस्टीट्यूटर ने कोचिंग के साथ भोजन और आवास की सुविधा निशुल्क दी है. इन बच्चों ने रविवार को लोकसभा अध्यक्ष से उनके कैंप कार्यालय में भेंट की.
जिन बच्चों की आंखें कुछ समय पहले पीड़ा से भरी थीं, उन्हीं बच्चों की आंखों में रविवार को उत्साह की चमक और सुनहरे भविष्य के सपने साफ नजर आ रहे थे. उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष को कोरोना की दूसरी लहर में अभिभावक को खो देने के बाद के कठिन समय के बारे में बताया. साथ ही कोटा में आने के बाद उनके जीवन में आए बदलाव की भी जानकारी दी.
इस दौरान बच्चों से बात करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने फिर दोहराया कि अभिभावक के तौर पर वे सदा उनके साथ खड़े हैं. परिवार में जब भी कोई मुसीबत या परेशानी आए, वे बिना झिझक उन्हें बताएं, सहायता की जाएगी.
उन्होंने कहा कि हमारी गौरवशाली संस्कृति यह प्रेरणा देती है कि हम संकट में घिरे परिवारों की मदद का बीड़ा उठाएं. ऐसे परिवारों का सहयोगी के रूप में साथ दें. उनके बच्चों की निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था करें. देश के अन्य हिस्सों से आने वाले बच्चों के लिए भोजन और आवास की व्यवस्था भी निशुल्क हो.
दुख और पीड़ा की इस घड़ी में परिवार के सदस्य या अभिभावक के रूप में साथ देकर उनका दर्द कम करने पर उन्होंने एलेन कॅरियर इंस्टीट्यूट के प्रबंधकों और कोटा के प्रबुद्धजनों का आभार भी जताया.
माता-पिता का सपना पूरा करें बच्चे
इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष ने बच्चों का भी आव्हान किया कि वे कड़ी मेहनत की अपने माता-पिता के सपने को पूरा करें. सभी बच्चों ने कहा कि अब उनका एक ही लक्ष्य है कि जो मौका उन्हें लोकसभा अध्यक्ष के प्रयासों से मिला है उसका पूरा फायदा उठाएं. मेडिकल या इंजनियरिंग परीक्षा क्रेक कर स्वयं सक्षम बनें तथा समाज के जरूरतमंदों की मदद कर सकें.
आमजन से मिले लोकसभा अध्यक्ष
लोकसभा अध्यक्ष रविवार को कैंप कार्यालय में आमजन से भी मिले. संसदीय क्षेत्र कोटा-बूंदी के प्रत्येक भाग से आए लोगों ने उन्हें अपनी परेशाली की जानकारी दी. उन्होंने ने लोगों के अभावों को ध्यान से सुना और निराकरण के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए.