UP में कई रिटायर्ड अफसर चुनावी मैदान में आजमाएंगे किस्मत! अफसरशाही के बाद नेतागिरी में रखेंगे कदम

लखनऊ: अपने देश-प्रदेश में सियासत और अफसरशाही का पुराना नाता रहा है. सभी को पता है, तमाम नेताओं की नेतागिरी चमकाने में अफसरों का हाथ रहा है और तमाम अफसरों को सांसद और मंत्री बनाने का चमत्कार भी हर दल के मुखिया को करते हुए देश की जनता ने देखा भी है. इसी क्रम में अब नौकरी में रहने के दौरान जो अफसर नेताओं की आंख, कान और नाक होते थे, वह आगामी लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने की तैयारी में जुट गए हैं.

यूपी में इस तरह की तैयारी करने वाले अफसरों में मुख्य सचिव और सूबे के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) की कुर्सी पर बैठ चुके अफसर भी हैं. इसके अलावा आईएएस, आईपीएस और अन्य प्रशासनिक सेवाओं के अफसर हैं, जो लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के संपर्क में हैं. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए सबसे अधिक रिटायर अफसरों ने इच्छा जताई है तो कई रिटायर अफसर सपा के नेताओं के संपर्क में हैं.

BJP देगी हुनर दिखाने का मौका
अफसरों के लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए आतुरता को बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी वाजिब मानते हैं. उनका कहना है कि देश और प्रदेश के हर पढ़े-लिखे व्यक्ति को सामाजिक कार्य करने के लिए राजनीति में आना चाहिए. इस भावना के तहत तमाम रिटायर अफसर राजनीति में आते रहे हैं और आ रहे हैं. बीजेपी रिटायर अफसरों को अपना हुनर दिखाने का मौका देती रही हैं और आगे भी ऐसा करती रहेगी.

भूपेंद्र चौधरी कहते हैं कि सूबे के कई रिटायर अफसरों ने आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए पार्टी नेताओं के संपर्क में हैं और मौका आने पर इस बारे में फैसला लिया जाएगा. पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने की इच्छा जताने वाले रिटायर अधिकारी कौन है? इनके नामों का उन्होंने खुलासा तो नहीं किया, लेकिन पार्टी के कई नेताओं का कहना है कि बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़ने की इच्छा जताने वाले एक अधिकारी तो मुख्य सचिव की कुर्सी पर रह चुके हैं.

वहीं एक आईएएस कुछ समय पहले नोएडा के डीएम रहे थे और एक आईपीएस हैं, जिन्होंने कई ईनामी अपराधियों का एनकाउंटर किया था. ये आईपीएस अफसर प्रयागराज से चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं, जबकि मुख्य सचिव की कुर्सी संभालने वाले अफसर मऊ से चुनाव लड़ना चाहते हैं.

यूपी में लोकसभा का चुनाव लड़ सकते हैं साकेत मिश्रा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव रह चुके नृपेंद्र मिश्रा के एमएलसी बेटे साकेत मिश्रा भी यूपी में लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं. सेंट स्टीफेंस से अर्थशास्त्र में स्नातक साकेत मिश्रा ने आईआईएम कलकत्ता से एमबीए किया हुआ है. उनके श्रावस्ती लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की संभावना विकत की जा रही है, लेकिन साकेत मिश्रा इस बारे में कुछ भी कहने को तैयार नहीं हैं.

उनका कहना है कि हमने तो चुनाव लड़ने की कोई तैयारी नहीं की है, लेकिन पार्टी जो जिम्मेदारी देगी उसे निभाऊंगा. इसके अलावा गाजियाबाद से सांसद जनरल वीके सिंह और बागपत से सांसद रिटायर आईपीएस सत्यपाल सिंह फिर से बीजेपी के टिकट पर आगामी लोकसभा चुनाव का चुनाव लड़ते हुए दिखेंगे.

ये रिटायर अफसर नेतागिरी के इच्छुक
इसी तरह समाजवादी पार्टी के लिए ट्वीटर पर मोर्चा लेने वाले 1981 बैच के रिटायर आईएएस भी लोकसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं. इसी प्रकार सूबे के डीजेपी रह चुके एक सिंह साहब बांदा से चुनाव लड़ना चाहते हैं. इसी प्रकार योगी सरकार में समय से पहले रिटायर किए गए आईपीएस अमिताभ ठाकुर बलिया से चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं. उन्होंने अपनी पार्टी बनाई है, उसी के बैनर तले चुनाव लड़ेंगे. अपनी पार्टी बनाकर बीते लोकसभा चुनाव में अयोध्या सीट से चुनाव लड़ने वाले 1979 बैच के रिटायर्ड आईएएस अफसर विजय शंकर पांडे इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगे. विजय शंकर पांडेय ने अपनी लोक गठबंधन पार्टी बनाई हुई है.

कांग्रेस के टिकट पर लड़े थे बासगांव से चुनाव
राम मंदिर आंदोलन के दौरान विजय शंकर पांडे फैजाबाद के डीएम रह चुके हैं. उनका कहना है कि अब वह विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयार कर रहे हैं. इसलिए आगामी लोकसभा चुनाव से दूर ही रहेंगे, लेकिन आईपीएस सेवा से वीआरएस लेकर कांग्रेस में शामिल हुए कुश सौरभ फिर चुनाव लड़ेंगे. बीते लोकसभा चुनाव में वह कांग्रेस के टिकट पर बासगांव से चुनाव लड़े थे. मायावती के कभी खास अफसरों में गिने जाने वाले रिटायर आईएएस अधिकारी राम बहादुर भी चुनाव लड़ेंगे. वह किस दल से चुनाव लड़ेंगे, इसका जल्दी ही वह ऐलान करेंगे.

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