नई दिल्ली: आज नेशनल डॉक्टर्स डे है. डॉक्टर्स ने कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में बेहद अहम भूमिका निभाई है. लोगों की सेवा करते हुए कई डॉक्टर्स ने अपनी जान भी गंवाई है. इस साल नेशनल डॉक्टर्स डे की थीम कोरोना वायरस से जोड़ कर रखी गयी है- बिल्डिंग फेयरर, हेल्थियर वर्ल्ड. लेकिन देश में डॉक्टरों की तादात हमारी सेहत को दुरुस्त रखने के लिए पर्याप्त नहीं है. हमारे यहां 1348 लोगों पर एक डॉक्टर सेवा देने के लिए मौजूद है. जबकि WHO की गाइडलाइन के मुताबिक एक हजार लोगों पर एक डॉक्टर होना चाहिए.
देश में डॉक्टर्स की मौजूदा स्थिति
देश में इस वक्त 12 लाख 89 हजार रजिस्टर्ड डॉक्टर्स हैं. पेशे में जुटे हुए डॉक्टर्स की संख्या 10 लाख 31 हजार है यानी कि कुल रजिस्टर्ड का डॉक्टर्स का केवल 80 फीसदी. देश में तीन लाख 60 हजार डॉक्टर्स की अभी भी कमी है. कोरोना की दूसरी लहर में अबतक 798 डॉक्टर्स अपनी जान गंवा चुके हैं. जबकि पिछले साल 734 डॉक्टरों की कोरोना से मौत हुई थी. स्वास्थ्य क्षेत्र पर जीडीपी का 1.28 फीसदी फिलहाल खर्च हो रहा है जबकि जीडीपी का 2.50 फीसदी खर्च करने की जरूरत है.
डॉक्टर्स कम्यूनिटी ने कोविड-19 महामारी से लड़ाई में अहम भूमिका निभाई है और इस समय भी डॅाक्टर अपनी जान की परवाह किए बगैर देश सेवा में लगे हुए हैं. प्रधानमंत्री अक्सर अपने संबोधनों में इसके लिए डॉक्टर्स और अग्रिम मोर्चे पर काम करने वाले अन्य लोगों की सराहना करते रहे हैं. हर साल एक जुलाई को देशभर में नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जाता है. इसी दिन देश के महान डॉक्टर और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डॉक्टर बिधानचंद्र रॉय का जन्मदिन और पुण्यतिथि होती है. यह दिन उन्हीं की याद में मनाया जाता है.