भगवंत मान सरकार ने गणतंत्र दिवस पर नवजोत सिंह सिद्धू को रिहा करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। लेकिन क्रिकेटर से नेता बने सिद्धू अपनी सजा पूरी होने से डेढ़ माह पहले जेल से बाहर आ सकते हैं। यानि वो अप्रैल माह में ही पटियाला जेल से बाहर आकर चैन की सांस ले सकते हैं। ध्यान रहे कि उनकी एक साल की सजा 19 मई को पूरी होने वाली है।
मीडिया की खबर के मुताबिक जेल में बंद हर कैदी को (NDPS एक्ट के अलावा) चार से पांच दिन की माफी हर माह मिलती है। इसमें वो महीना शामिल नहीं किया जाता जिस माह दोषी को जेल भेजा गया है। इसके अलावा इस माफी में वो महीना भी शामिल नहीं होता जिस माह दोषी की सजा पूरी होने वाली हो। ये माफी कैदी को जेल में दिए गए काम के साथ उसके बर्ताव से जुड़ी होती है।
सिद्धू ने पिछले साल 20 मई को तब जेल में सरेंडर किया था जब सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी। ये सजा एक बुजुर्ग शख्स की हत्या के मामले में सुनाई गई थी। कार पार्किंग को लेकर 1988 में हुए एक विवाद में 65 साल के गुरनाम सिंह की मौत हो गई थी। पुलिस का कहना है कि सिद्धू ने उस शख्स के साथ मारपीट की थी, जिसके चलते उसकी मौत हो गई।
सिद्धू के मामले में माफी की मियाद 1 जून 2022 से 31 मार्च 2023 तक काउंट की जाएगी। अगर हर माह पांच माफी उन्हें दी जाएं तो नौ माह में सिद्धू को 45 दिनों की राहत मिलती है। इस हिसाब से वो अप्रैल के पहले सप्ताह में जेल से बाहर आ सकते हैं। अगर हर महीने मिलने वाली माफी पांच के बजाए चार दिन हो तो भी सिद्धू अप्रैल के दूसरे सप्ताह में जेल से बाहर आ सकते हैं।
सिद्धू के वकील हरिंदर पाल वर्मा का कहना है कि सिद्धू के मामले में जो भी नियम लागू किया जाए वो हर हाल में अप्रैल के दूसरे सप्ताह तक जेल से बाहर आ जाएंगे। उनका कहना है कि गणतंत्र दिवस वाले दिन जेल से रिहाई की बात पर सिद्धू का कहना था कि अगर उन्हें माफी नहीं भी मिलती तो ये उनका भाग्य है। उनका कहना था कि वो हताश नहीं हैं। बल्कि हर मुश्किल से गुजरने को तैयार हैं।