नई दिल्ली: देश में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से हुई मौत का कोई भी आंकड़ा राज्यों से नहीं मिलने को लेकर केंद्र सरकार को विपक्षी दलों ने निशाने पर लिया है. जबकि दूसरी लहर के पीक पर रहने के दौरान अस्पतालों में मरीजों की मौत की कई बड़ी घटनाओं ने दुनिया भर का ध्यान भारत की ओर खींचा था. आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरा है.
Oxygen संकट पर सरकार औऱ नेताओं के बड़े बयान
1- दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बुधवार को कहा कि ऑक्सीजन की कमी से देश में बहुत सारी मौतें हुईं. दिल्ली में भी ऐसा वाकया देखने को मिला. यह कहना एकदम गलत है कि ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई. अगर ऐसा नहीं हुआ होता तो अस्पताल हाईकोर्टों का दरवाजा क्यों खटखटाते. केंद्र सरकार तो यह भी कह सकती है कि देश में कोई महामारी आई ही नहीं.
2- आप सरकार ने कहा, दिल्ली में हमने ऑक्सीजन से हुई मौतों की जांच के लिए ऑडिट कमेटी बनाई थी. अगर वो पैनल अब भी वहां होता तो आसानी से आंकड़ा मुहैया कराया जा सकता था. लेकिन केंद्र सरकार ने एलजी के जरिये रिपोर्ट सौंपने की इजाजत नहीं दी. दिल्ली सरकार ने ऐसी मौतों पर 5 लाख रुपये मुआवजे की पेशकश की थी, लेकिन एलजी अनिल बैजल ने कहा कि केंद्र सरकार ने स्वयं ही एक पैनल गठित किया है.
3- राज्यसभा ( Rajya Sabha)में मंगलवार को दिए लिखित जवाब में स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने कहा था कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है और राज्य केंद्र सरकार को नियमित तौर पर कोरोना के मामले और मौतों की जानकारी देते रहते हैं. लेकिन राज्यों ने ऑक्सीजन की कमी को लेकर केंद्र सरकार को कोई विशेष आंकड़ा नहीं दिया है.
4- स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया (Health Minister Mansukh Mandaviya) ने संसद को बताया कि प्रधानमंत्री जी लगातार राज्यों से कहते रहे हैं कि कोरोना से हुई मौतों का रजिस्टर किया जाए, छिपाने का कोई कारण नहीं है. यह राज्यों की जिम्मेदारी है. हम राज्यों की ओर से प्रदान किए गए डेटा को संकलित करते हैं. केंद्र सरकार को यही करना होता है.
5- शिवसेना सांसद संजय राउत ने भी इस बयान को लेकर केंद्र सरकार को घेरा है. राउत ने कहा, मैं स्तब्ध हूं, उन परिवारों के लिए जिनके अपने मेडिकल ऑक्सीजन की कमी की वजह से दुनिया से चले गए. उन परिवारों को यह सुनकर कैसा लगा होगा. इन परिवारों को सरकार के खिलाफ मुकदमा दाखिल करना चाहिए.
6- दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि केंद्र झूठ बोल रहा है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देश में ऑक्सीजन का कोई संकट नहीं था. सरकार अपनी कमी छिपाने का प्रयास कर रही है. उसकी नीति ही विनाशकारी थी.
7- दिल्ली में जयपुर गोल्डन हास्पिटल में ही ऑक्सीजन की कमी से 25 कोरोना मरीजों की मौत हुई थी. इसी ट्रैजडी में गौरव गेरा और उनकी बहर भारती ने अपने परिजनों को खो दिया. हम संसद में सरकार का बयान सुनकर दुखी हैं. उन्होंने कहा, मेरे पिता ठीक थे, रात में अस्पताल से कॉल आई कि उन्हें बचाया नहीं जा सका. डॉक्टर ने हमें ऑक्सीजन की कमी के बारे में बताया. हमने अपने परिजनों को खो दिया, लेकिन राजनीति अभी भी जारी है.
8- उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 61 साल के एक शख्स की मौत हो गई, क्योंकि उसका परिवार ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतजाम नहीं कर सका. उनके एक बेटे ने एनडीटीवी से कहा, हमने कई अस्पतालों का चक्कर लगाया, कोई बेड औऱ ऑक्सीजन नहीं थी. तो हमने पिता को वापस घर ले आए. लेकिन वो चल बसे, क्योंकि हम उनके लिए ऑक्सीजन का इंतजाम नहीं कर पाए. अगर ऑक्सीजन आसानी से मिल रही होती तो हमें 10-12 घंटे लाइन में क्यों खड़े होना पड़ता.
9- भारत में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन का भारी संकट कई राज्यों में सामने आया था. इसमें यूपी, दिल्ली भी शामिल थे. अस्पतालों में बेड औऱ ऑक्सीजन न मिलने से तमाम मरीजों ने दम तोड़ दिया. सोशल मीडिया पर बेहाल मरीजों और उनके मरीजों के वीडियो ने सबको झकझोर दिया. हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक इन मामलों की सुनवाई चली.
10- ऑक्सीजन की कमी, सिलेंडरों की कालाबाजारी औऱ अस्पतालों में बेड न मिलने से बेहाल मरीजों और उनके परिजनों के मुद्दों पर लंबी सुनवाई का दौर अदालतों में चला. भारत में अब कोविड केस तेजी से नीचे आ रहे हैं, लेकिन तीसरी लहर का खतरा बना हुआ है.