Greta Thunberg Country on her Comments: भारत में बीते कुछ महीनों से कृषि कानूनों (Farm Laws) के विरोध में किसान विरोध प्रदर्शन (Farmers Protest) कर रहे हैं. इस मामले पर हाल ही में कई अंतरराष्ट्रीय हस्तियों ने भी प्रतिक्रिया दी. इन लोगों में अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की भांजी मीना हैरिस (Meena Harris), पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunberg ) और गायिका रिहाना (Rehana) जैसे कई लोग शामिल हैं. बाद में इन सभी को सोशल मीडिया पर ट्रोल (Social Media Trolling) किया गया, लेकिन जो लोगों के सबसे ज्यादा निशाने पर रहीं, वो हैं 18 साल (Greta Thunberg age) की ग्रेटा थनबर्ग.
स्वीडवन की रहने वाली (Greta Thunberg country) ग्रेटा ने गलती से एक टूलकिट यानी सीक्रेट दस्तावेज ट्वीट (Greta Thunberg twitter) कर दिए थे, जिसे तुरंत उन्होंने डिलीट भी कर दिया. इनमें बताया गया था कि कहां, कैसे और किस तरह विरोध प्रदर्शन करना है. भारत पर अंतरराष्ट्रीय दबाव डालने के लिए क्या करना है. हालांकि इस मामले की अभी जांच की जा रही है. इस बीच ग्रेटा थनबर्ग जिस देश (Greta Thunberg about India) से हैं, वहां की सरकार से भी मामले पर सवाल पूछा गया. WION की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार से पूछा गया कि ग्रेटा ने भारत (Greta Thunberg about India) में चल रहे किसान आंदोलन पर जो कुछ कहा है, उसपर वह क्या कहना चाहते हैं.
स्वीडन के विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?
इसके जवाब में स्वीडन के विदेश मंत्रालय ने केवल इतना कहा, ‘हम इस मामले में कुछ भी नहीं कहना चाहते.’ बेशक एक आम नागरिक (Greta Thunberg belongs to which country) होने के नाते ग्रेटा को किसी भी मामले पर बोलने का पूरा हक है और इसे लेकर उनकी सरकार भी उन्हें रोक नहीं सकती है. लेकिन वो इसके साथ ही एक इन्फ्लूएंसर (लोगों पर प्रभाव डालने वाली) भी हैं. जिनकी कही बातों को उनके फॉलोअर्स सच मान लेते हैं. ऐसे में अगर वह बिना पूरी जानकारी लिए कुछ गलत बात भी ट्वीट कर देंगी, तो उसपर भी लोग विश्वास कर लेंगे.
अपने भाषण से चर्चा में आई थीं ग्रेटा
ग्रेट सबसे पहले उस वक्त चर्चा में आई थीं, जब उन्होंने पर्यावरण को लेकर एक भाषण दिया था. उनके भाषण पर बाद में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन तक ने प्रतिक्रिया दी थी. वहीं भारत और स्वीडन के रिश्तों की बात करें तो दोनों ही देशों के बीच काफी अच्छा रिश्ता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साल 2018 में स्वीडर के दौरे पर भी गए थे. वह बीते 30 साल में स्वीडन जाने वाले पहले प्रधानमंत्री हैं. उनके इस दौरे के समय पहला भारतीय-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ था. स्वीडन कई अन्य मामलों में भी भारत का समर्थन करता आया है.