हरियाणा :दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन के लिए फिर से लाामबंदी होनी शुरू हो गई है. हरियाणा में प्रमुख खाप पंचायतों (Khap Panchayat) ने दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन को समर्थन देने के लिए प्रत्येक परिवार से एक सदस्य को भेजने का फैसला किया है. शुक्रवार को हुई हरियाणा की प्रमुख खाप पंचायतों की बैठक में यह निर्णय लिया गया. वहीं खाप पंचायतों ने बीजेपी और दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) नेताओं का सामाजिक बहिष्कार किया. खाप नेताओं का कहना था कि हरियाणा में बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार है इसलिए उन्होंने बहिष्कार का फैसला लिया है.
भारतीय किसान यूनियन के एक नेता ने कहा कि हरियाणा में कई खाप पंचायतों ने बैठकें कीं और किसान आंदोलन को समर्थन देने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि कई गांवों ने प्रदर्शन में अपनी ट्रैक्टर ट्रॉली भेजने का फैसला किया है.
सरकार के इंटरनेट पर बैन लगाने के बाद किसानों ने उठाया कदम
हरियाणा सरकार के मोबाइल इंटरनेट पर बैन लगाने के बाद खाप पंचायतों ने यह कदम उठाया है. मालूम हो कि हरियाणा सरकार ने रेवाड़ी, अंबाला, जींद, भिवानी, करनाल, कैथल, कुरुक्षेत्र, पानीपत, हिसार, रोहतक और सिरसा में मोबाइल इंटरनेट को शनिवार शाम तक निलंबित कर दिया. सरकार का कहना है कि इसका मकसद किसान समूहों के बीच संचार को सीमित करना और भीड़ को रोकना है.
राज्य के सबसे प्रभावशाली खापों में से एक कंडेला खाप की शुक्रवार को कंडेला गांव में बैठक हुई. इसी तरह, दादन और बारह खाप पंचायत क्रमशः जींद के उचाना और जुलाना खाप की बैठक हुई. फोगट खाप की दादरी में, रोहतक में सर्व खाप और भिवानी के खरकरी गांव में सर्व श्योरण खाप पंचायतों की मीटिंग हुई.
खाप पंचायतें बीजेपी-जेजेपी नेताओं और सरकारी अधिकारियों का करेंगी बहिष्कार
फोगट खाप के प्रमुख बलवंत नम्बरदार ने कहा, ‘हमने हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, भिवानी-महेंद्रगढ़ के सांसद धर्मबीर सिंह और दादरी के पूर्व विधायक राजदीप फोगट का सामाजिक बहिष्कार किया है, जो बीजेपी-जेजेपी सरकार में अध्यक्ष हैं. हम इन नेताओं को अपने सामाजिक कार्यों में नहीं बुलाएंगे.
हुड्डा खाप के अध्यक्ष ओम प्रकाश हुड्डा ने कहा कि उनके कबीले ने सर्वसम्मति से गांवों में सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं और सरकारी अधिकारियों के प्रवेश को प्रतिबंधित करने का फैसला किया है, जब तक कि तीन कृषि कानूनों को रद्द नहीं किया जाता है.
पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और अन्य उत्तरी राज्यों के किसान पिछले साल सितंबर में पारित तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर बीते दो महीने से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.